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मर्द होते हैं वही बस जंग के मैदान में,
तानकर कातिल के आगे जो भी सीना आ गया।
जिसके दिल से निकल जाता है मर जाने का डर,
यूं समझ लो उस इंसान को जीना आ गया।।
हम भी जरूर आएंगे तेरी शादी में - 2
यह देखने कि तकदीर वाले कैसे होते हैं।
क्या गलत क्या है सही यह तो खबर होती है,
अपनी मर्ज़ी भी कोई चीज मगर होती है।
और झूठ के ढेर में से जो निकाल ले सच को,
इतनी बारिक कहां हर किसी की नजर होती है।।
अपनी हालत का मुझे ध्यान नहीं होता है,
इश्क सच्चा हो तो आसान नहीं होता है।
पहले से बढ़कर मुहब्बत है तुमसे अब,
क्यों तुमको यकीन मेरी जान नहीं होता है।।
सर बुलंदी का एक ओजीफा है,
जो बुजुर्गों से हमने सिखा है।
खुद को छोटा समझते रहिएगा,
यह बड़ा बनने का तरीका है।।
थोड़ी सी 'खुद्दारी' भी तो लाज़मी था,
जिसने भी हाथ छुड़ाया; छोड़ दिया।
गम बहुत हैं मगर खुलासा कौन करे।
मुस्कुरा देता हूं अब तमाशा कौन करे।।
जब तक घोड़ा रेस जीतता है,
मालिक को चने महंगे नहीं लगते।
चुप हूं किसी वजह से जिस दिन बरस जाऊंगा,
उस दिन किसी पर तरस नहीं खाऊंगा।
गांव का देखकर गंवार मत समझना,
हम फैशन पर नहीं इज्जत पर मरते हैं।
खूबसूरती से धोखा न खाइयो हुकूम,
तलवार खूबसूरत हो भी तो मांगती खून ही है।
उठाकर देखी मैंने आज यादों की पुरानी किताब,
पिछले साल इन्हीं दिनों की बात ही कुछ और थी।
घेर कर प्यादों से मरवा दे जो एक राजा को,
वो बहादुर कभी सच्चा नहीं लगता मुझको।
चाल चलता ही नहीं मैं कभी अपनों के खिलाफ,
खेल शतरंज का अच्छा नहीं लगता मुझको।।
ये देखकर कि आंख हमारी नम है,
तू कहता ही रहा कि गुनाहगार हम हैं।
गलती तेरी नहीं कि तेरे शहर में तो,
वफादार लोगों की तादाद ही कम है।।
जिंदगी में जिसे लोग मरहम-ए-गम जानते हैं,
जैसे हमने गुजारी है हम जानते हैं।।
मुझमें कोई शिकवा या शिकायत नहीं,
शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नहीं।
मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गया,
मैंने पूछा तो ये बोला ये मेरी लिखावट नहीं।।
माना की आग नहीं था फेरे नहीं थे,
इसका मतलब की हम तेरे नहीं थे।
कल रात तेरी यादों में तेरी तस्वीर बना डाली,
इतनी अच्छी लगी की गले से लगा डाली।
जब खौफ हुआ कि कोई चुरा ना ले,
हम इतनी रोए कि आंसुओं से मिटा डाली।।
इस अंजुमन में आपको आना है बार बार,
दीवार-ओ-दर को गौर से पहचान लीजिए।
कटी हुई टहनियां कहां छांव देती हैं,
हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव देती हैं।
जिस दिन तुम मां बनोगी मेरी जान,
उस दिन लड़के खिलौने नहीं सोने लगेंगे सोने।
इस दौर-ए-तरक्की में हर काम है मुमकिन,
हैरत नहीं कि बाज़ कबूतर से डर गया।
और यह भी खबर थी आज के अखबार में छपी,
इंसान के काटने से कल एक सांप मर गया।।
हुस्न आवाज में आवाज मिलाता था कभी,
आजकल इश्क की फरियाद हुए बैठे हैं।
और तुमने जो शौक मोहब्बत का पाल रखा है,
हम इसी शौक में बर्बाद हुए बैठे हैं।।
ग़र जरा भी ज हर उगला तू हमारे वास्ते,
ज़ हर वो सारा तेरी रग रग में भर डालेंगे हम।
हैं अदालत और वकालत सब तेरी तो क्या हुआ,
फैसला आन द स्पॉट कर डालेंगे हम।।
दोस्तों की महफिल से तो बस इतना नाता है,
तब जाता हूं जब कोई रात दिन बुलाता है।
सामने तुम्हारे बस शहद है जबानों पर,
और जाते ही बस जहर उगला जाता है।।
बहुत बेहतर समझता है जो मतलब जिंदगानी का,
लुटा देता है बच्चों पर हर एक लम्हा जवानी का।
और भुलाया जा नहीं सकता किरदार मां का भी,
पर असल हीरो तो बाप है हर कहानी का।।
मैं जहां भी जाऊं उसकी याद सताती है,
भुला भी नहीं सकता जो उसकी याद आती है।
कभी मुश्किल से तो कभी आराम से होगी,
तेरी इज्जत जमाने में माना कि काम से होगी।
तू दौलत और शोहरत चाहे कितनी भी कमा ले, पर
तेरी पहचान तेरे बाप के ही नाम से होगी।।
तकलीफ़ हमारी गर तुम जान गये होते।
अब तक नाराज़ ना रहते मान गये होते।।
जान कहने से कोई जान नहीं होता है,
कोई कह भी दे तो नुकसान नहीं होता है।
वो तो मैं हूं जिसे छोड़ दिया छोड़ दिया,
वरना यह फैसला आसान नहीं होता है।।
अहम् की अकड़ ज्यादा चल नहीं सकती,
मौत की घड़ी कभी टल नहीं सकती।
लूट कर दौलत भले ही जमा कर लो,
पर पाप की कमाई कभी फल नहीं सकती।।
आसमानों को जमीनों से मिलाने वाले,
झूठे होते हैं ये तकदीर बताने वाले।
अब तो मर जाता है रिश्ता ही बुरे वक्तों पर,
पहले मर जाते थे रिश्ते को निभाने वाले।।
कभी तो खोद कर देखो क़ब्र अपने जिस्म की;
मिलेंगी ख़्वाहिशें जिन्हें तुम अंदर मार देते हो...!
परत-दर-परत मेरा दर्द ना कुरेदो, थक जाओगे।
हर परत में मेरा तजुर्बा मेरी उम्र से बड़ा पाओगे।।
करता नहीं है ख्याल मेरा इस ख्याल से,
तंग आ गया अगर तूं मेरी देखभाल से।
चल मेरे साथ और तबियत की फ़िक्र छोड़,
दो मिल दूर है मेरा घर अस्पताल से।।
अगली बार आना तो हाथ ना मिलाना,
तुम थाम नहीं पाओगे हम छोड़ नहीं पाएंगे।
मजबूरियों के नाम से सब छोड़ना पड़ा,
दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा।
मेरी पसंद और थी सबकी पसंद और,
इतनी जरा सी बात पर घर छोड़ना पड़ा।।
ज़हर के काबिल भी ना थे कुछ लोग,
अफ़सोस हम उन्हें चाय पिलाते रहे।
कोई इतना अमीर नहीं कि पुराना
वक्त खरीद सके, कोई इतना गरीब नहीं
कि आने वाला वक्त ना बदल सके।।
तन्हाई मेरी किसी को समझ ही नहीं आई,
मुझे हथियाने में लगे रहे सब तेरे जाने के बाद।
ख़ामोशी गलत फैसला कर देगी,
बोलिए वरना मसला हो जाएगा।
खुदा ने यह सिफ़त दुनिया के हर औरत को बख्शी है, कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते हैं।
ज्यों ज्यों सूरज की ओर बढ़ता गया,
उतना ही वो दूर होता गया।
वो डर कर भाग रहा है मुझसे,
इसी अहंकार में मैं चूर होता गया।।
अपनी लिक्खी हुई तकदीर पर हंस लेते हैं,
दिल के जज्बात को जंजीर से कस लेते हैं।
ये तो मेरा तजुर्बा है कि वक्त आने पर,
सांप तो सांप है पर इंसान भी डंस लेते हैं।।
रक्खा है बाजुओं पर सदा अपने ऐतबार,
ताकत किसी का देखकर सयदा नहीं हुए।
मक़्सद है जिंदगी का हमारी तो जितना,
हम हारने के वास्ते पैदा नहीं हुए।।
इश्क के खेल की हर चाल मुबारक हो,
बेवफा तुझको ये मेरा हाल मुबारक हो।
मुझको बर्बाद कर जाने वाले तुझको तेरा,
नया यार मुबारक हो नया साल मुबारक हो।।
HAPPY NEW YEAR 2025 ADVANCE
दिल के अरमानों को जलाकर राख कर देगी,
तेरी जिंदगी को भी एक दिन ख़ाक कर देगी।
ये रात-रात भर जागकर जिससे बातें करता है दोस्त,
एक दिन ए नागिन तुझे बर्बाद कर देगी।।
काश उसका कहीं जिया ना लगे,
और उसको भी कारण का कुछ पता ना लगे।
और उसी के ऐब सुनाना है उसी को,
इस कदर की उसे कुछ बुरा भी ना लगे।।
सामने गैर के घुटने भी टिका सकता है,
ऐन मौके पर वो पीठ भी दिखा सकता है।
अब हमें करना है दस्तार बचाने का सफ़र,
जान जिसे प्यारी है वो जा सकता है।।
कहीं मेरा दिल सफेद रंग का तो नहीं,
जो भी दाग लगता है उतरता ही नहीं।
जहां तेरी याद ना आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते ना बना दे वो खुदाई किस काम की।
बेसक हमें जाना है अपनी मंजिल तक, मगर
जहां से अपने ना दिखाई दें वो ऊंचाई किस काम की।।
उसके दिल में सुई की तरह खटकते रह जाओगे,
दर-बदर पागलों की तरह भटकते रह जाओगे,
वो दुल्हन बन किसी अफसर संग निकल लेगी दोस्त,
तुम कमरे में किसी पंखे से लटकते रह जाओगे।।
भला कब एक जैसी हर किसी की बात होती है,
हर एक इंसान की अपनी अलग औकात होती है।
किसी के बोलते ही फूल झड़ने लगते है, तो
किसी के बोलते ही ज़हर की बरसात होती है।।
कपड़े फट जाते हैं और बाल बिगड़ जाते हैं,
अच्छे अच्छों के यहां हाल बिगड़ जाते हैं।
कि हसीन के चक्कर में जो पड़ गया है तू,
ये वो चक्कर है कि कई साल बिगड़ जाते हैं।।
परेशां हाल हो जाएंगे हंसना भूल जाएंगे,
ये बादल एक दिन हम पे बरसना भूल जाएंगे।
अगर किरदार इंसानों का सांपों को बता दूं मैं,
यकीनन शर्म से ये सांप डसना भूल जाएंगे।।
बागवान की गुलाब से दोस्ती थी,
मतलब उसे किसी नायाब से दोस्ती थी।
सबके हिसाब से हममें प्यार था,
बस उसके हिसाब से हमसे दोस्ती थी।।
"तलब भी उसी की है.. नशा भी उसी का है..
उसे सब ख़बर है... फिर भी वो बेख़बर है"..
मेरा बस नहीं चलता मैं बातें छोड़ दूँ करनी
मैं ख्वाबों को ज़हर दे दूँ, मैं आँखें नोच लूँ अपनी!!
रेल की पटरी की तरह हैं हमारे रास्ते,
साथ चलेंगे मगर मिलेंगे नहीं।
फिर भी उम्मीद यही होगी कि कहीं एक मोड़ पर,
हम फिर साथ चलेंगे जैसे कभी बिछड़े ही नहीं।।
एक रोज मार ही देगा मेरा गुजरा हुआ कल,
अपने ही गुनाहों का बोझ अब नहीं उठाया जाता।
कर रहे थे महफ़िल में वफाओं की बात,
हमने जैसे ही जूता उतारा सब चुप हो गए।
मोहब्बत में पड़ गए हो और इज्ज़त भी चाहते हो!
यार ग़ालिब तुम अभी बड़े नादान हो,
जहर भी खाना है और जिंदगी भी चाहते हो।
हमारे साथ बचपन से ही ऐसा होता है। जब जब पैसा जमा किए मनपसंद का खिलौना बिक गया।
जवानी की अकड़ में तेज खाकर बात करता हो,
बुढ़ापे को सदा नीचा दिखाकर बात करता हो।
खुदाया छिन ले उस शख्स के आंखों से रोशनी,
जो अपने बाप को आंखें दिखाकर बात करता हो।।
प्यार का अमृत पी पीकर जो पलते हैं,
वही सबसे ज़्यादा ज़हर उगलते हैं।
सीधी राह दिखाओ चाहे जितनी भी,
सांप हमेशा आड़े तिरछे ही चलते हैं।।
किसी का होना तो लाखों का ख़्वाब होता है,
पर इसमें कोई कोई कामयाब होता है।
और खराब होती है नियत अगर मैं कुछ न कहूं,
अगर कुछ कहूं तो फिर ताल्लुक खराब होता है।।
थी पसीने से ज्यादा प्यार की जिनमें महक,
एहतरामन हमने वो सिक्के उछाले ही नहीं।
और तब उड़ाया जब खुद कमाना आ गया,
बाप के पैसों पर हमने शौक पाले ही नहीं।।
हर ऐब गरीबी से जुड़ा है। दौलत दलालों को भी ईमानदार बना देती है।।
हम भी रखते हैं दिल पहाड़ों सा,
चाहे सदमे कई हजार आ जाएं।
और आदमी फिर जल्दी नहीं उठ पाता,
जब गिराने पर खुद उसी के यार आ जाएं।।
सामने हो मंजिल तो रास्ता मत मोड़ना।
जो भी हो मन में वह सपना मत तोड़ना।।
हर कदम पर भले मिलें मुश्किलें आपको।
बस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना।।
गुनाहों का हिसाब मुझसे मत मांग मेरे मालिक!
कलम तो तेरी ही चली थी मेरी तकदीर लिखने में।
सज धज के आज वो दिवाली मनाएगी,
नादान है वो पटाखों से दुपट्टा जलाएगी।
और देखना एक दीया वो हाथ पर लेकर भी,
फोटो खींच खींच कर स्टेटस लगाएगी।।
HAPPY DIWALI IN ADVANCE
तेरे जाने के बाद क्या कुछ नहीं हुआ।
तुझे क्या लगा यार; मुझे दुख नहीं हुआ।।
कुर्सी है तुम्हारा कोई जनाजा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
बड़ा बारीक नुक्ता है अगर समझ पाओ तो।
सुकरात जहर ग़र ना पीता तो भी मर जाता।।
पांव के लड़खड़ाने पर नजर तो सबकी है।
सिर पर कितना बोझ है कोई नहीं देखता।।
उजड़ गया वो रिश्ता दुबारा नहीं बसेगा। तुझे माफ
तो कर देता, पर तूं सांप है, दोबारा डसेगा।।
प्रश्नपत्र सी है जिंदगी जस की तस स्वीकार्य,
कुछ भी वैकल्पिक नहीं सभी प्रश्न अनिवार्य।
कोई ठुकरा दे तो हंस के जी लेना दोस्त !
मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती नहीं होती।
ख़ामोश रहूं तो मुश्किल है,
कह दूं तो शिकायत होती है।
एक जाहिल के साथ तख्त पर बैठने से तो अच्छा है, किसी ज्ञानी के साथ फर्श पर बैठना।
ऐ वक्त कभी फिर से वो जमाने लाओ,
हमसे मिलने वही लोग पुराने लाओ।
नहीं बदल सकते हम खुद को औरों के हिसाब से,
लिबास तो हमें भी दिया है खुदा ने अपने हिसाब से।
नजर का कोई ताल्लुक नहीं है ख्वाब के साथ,
जब जब उसको देखा ऐनक उतार ली हमने।।
मिट्टी का जिस्म लेकर पानी के घर में हूं,
मंजिल है मौत मेरी हर पल सफर में हूं।
होना है कत्ल मेरा ऐ मालूम है मुझे, लेकिन
खबर नहीं कि किसकी नज़र में हूं।।
गलती मानने के लिए बहादुर होना पड़ता है,
और बहस करने के लिए बदतमीज।
ना किसी की बुरी नज़र, ना किसी का मुंह काला;
होगा वही जो चाहेगा ऊपर वाला।।
मजबूत तरीन होते हैं वो रिश्ते,
जहां ऐब गिने नहीं छुपाए जाते हैं।
बिछाकर जुल्फ गालों पर सितम आबाद कर डाला, हसिनाओं ने जिसे चाहा उसे बर्बाद कर डाला।।
सुना है मेरे बेटे तुम्हें 56 भोग लगाकर गए हैं, मुझे तो दो वक्त की रोटी भी तानों के साथ मिलती है।
इतना तो असर होगा हमारी यादों का, हमारे ना होने पर भी तुम याद करके मुस्कुराओगे।
जिसको अपना जान माना, इज्जत दी, उसको ऐसे बदनाम थोड़ी ना कर देंगे। वो चाहे जिसपर दिल लुटाए, बस इतनी सी बात पर उसका नुकसान थोड़ी ना कर देंगे।। वो गलत भी है तो बैठा है न वो मालिक हिसाब करने, वो ऐसा है वैसा है, यह सब कहकर अपनी जुबान खराब थोड़ी ना कर देंगे।।
कोई नहीं है हमारा यह सोचकर नहीं जाते, अकेलेपन और तन्हाई से बिछड़कर नहीं जाते। बेरोज़गारी का ताना देकर जिन्हें निकाला गया था घर से, वो बेटे त्यौहारों पर भी घर नहीं जाते।।
कि लाख कसम खाई मगर एकर विश्वास ना बन पईबा, रिचार्ज करावत करावत गरीब हो जईबा मगर एकर खास ना बन पईबा। और तोहरे सामने पढ़के ई ANM-GNM कर लेई, और तू एकरे प्यार के चक्कर में हाईस्कूल पास ना कर पईबा।।
जो सीधा दिल को चीर दे बात ऐसी भी बोल दूं, जो दिल में छुपा रखे हैं राज सारे वो खोल दूं। मुझको नाकाम आवारा कहकर छोड़ने वाली लड़की, मैं चाहूं तो तेरे सौहर को नोटों से तौल दूं।।
कि जितना कम दुनिया से वास्ता होगा,
उतना ही खूबसूरत जिंदगी का रास्ता होगा।
संबधों में संतुलन बनाए रखना सरल नहीं श्रीमान, लतियाने योग्य व्यक्तियों को भी घर वालों के सम्मुख सम्मान देना पड़ता है।
खून के रिश्ते कभी नहीं बांटे हमने,
गैर बच्चों को कभी नहीं डांटे हमने।
और खुद मेहनत से कमाया है अपना नाम,
किसी के बाप के जूते नहीं चाटे हमने।।
हमारी खामोशी की भी कोई वजह है जनाब,
हमारा जवाब आपको तकलीफ जरूर देगा।
पूछ कर मेरा पती वक्त ज़ाया ना करो,
मैं तो बंजारा हूं ना जाने किधर जाऊंगा।।
बेइंतेहा दर्द से दूर, अब मुस्कुराने लगे हैं हम, क्योंकि मां की भक्ति में खुद को रमाने लगे हैं हम।
आता हूँ मां तेरे दर पे अपना सिर झुकाने को; हजारों जन्म भी कम हैं मां तेरा अहसान चुकाने को।
जिंदगी की हर तमन्ना हो पूरी,
कोई भी आरजू ना रहे अधूरी।
करते हैं हाथ जोड़कर मां दुर्गा से विनती,
कि हर मनोकामना हो पूरी।। जय माता दी
मां करती सबका उद्धार है,
मां करती सबकी बेड़ा पार है।
मां करती
सबका उद्धार है,
मां सबके कष्टों को हरती है।।
मां भक्तों के लिए
कितना कुछ करती है।।
हैप्पी नवरात्रि 2024
तुम्हें मदद के लिए जब दुहाई देने लगा,
तुम्हारी आंख में क्या था दिखाई देने लगा।
चला था जिक्र मेरी खामियों का महफिल में,
जो लोग बहरे थे उनको भी सुनाई देने लगा।।
मेरे खिलाफ तो अदालत भी था जमाना भी,
मुझे तो जुर्म बताना भी था और छुपाना भी।
और अबकी बार तो ऐसे कमान खींची है,
कि तीर ले उड़ा शाना भी निशाना भी।।
महफ़िल में हंसना मेरा मिज़ाज बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज बन गया।
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर ना होने दिया,
यही मेरे जीने का अंदाज बन गया।।
गलतियां भी होंगी और गलत भी समझा जाएगा, यह जिंदगी है जनाब, यहां तारीफें भी होंगी और ज़लील भी किया जाएगा।
मेरे लुटने तक मेरे मिटने तक, वो सितम पर सितम सिर्फ ढाती रही। मैं तड़पता रहा उसकी चाहत के खातिर, और गैरों की बाहों में मुस्कुराती रही।।
हम मेहमान नहीं रौनक-ए-महफ़िल, मुद्दतों याद रखोगे कि जिंदगी में कोई आया था।
भिन्न - भिन्न किरदार मेरे, मैं..
बदनसीबी और प्यार का मारा हूं।
कोई कहता है शायर मुझको तो
किसी कि नज़र में आवारा हूं..।।
वो पूरी की पूरी दुनिया थी, जो मुझे ताउम्र ज़हर पिलाती रही। ईश्वरीय कार्य करने में संलग्न, मुझे नीलकंठ बनाती रही।।
वो एक पूरा खुद में शहर लिए बैठा है, वो एक शख्स मेरे लिए अपने अंदर ज़हर लिए बैठा है।
नाराज तो औरतें हुआ करती हैं, मर्द तो मुस्कुराकर महफ़िल छोड़ दिया करते हैं।
तरसे जो बरसों एक गुलाब की खातिर,
कब्र पर तो गुल - दस्ते हजार मिले।
जीते जी तो एक यार मिल ना सका,
सांसें थम गयी तो पूरे जहां में दिलदार मिले।।
वापस ले आया डाकिया चिट्ठी मेरी,
बोला; पता तो वही है पर लोग बदल गए।
फासला भी जरूरी था चिराग रोशन करते वक्त,
यह तजुर्बा हासिल हुआ जब हाथ जल गया।
कुछ देर बैठ गया मैं रईसों की महफ़िल में,
ऊंचे ऊंचे ख्वाबों ने तो चाल चलन बदल दिया।
पढ़ लिखकर खामोश हो तो कलम को तोड़ दो, ग़र हिन्दुत्व के लिए एक शब्द ना लिख सको तो सोशल मीडिया छोड़ दो।
सुना है यहांँ शायर बहुत है कोई,
हमें भी सुनाओ हम घायल बहुत हैं।
किस्से तो मोहब्बत के हमारे भी थे !!
पर अधूरी कहानी सुनता कौन है !!
मोहब्बत को दफा किया हमने,
अपनी कहानी में खुद को बेवफा किया हमने।
रूह कांप जाती थी जिनके दूर जाने के ख्याल से,
उनको हंसकर अलविदा किया हमने ....!!!
उन्हें गुरूर है क्योंकि उनका वक्त बोल रहा है
हमें यकीन है हमारा सब्र बोलेगा ......!!
उससे टकराकर मर गयी तितली,
किसी ने दीवार पर जो फूल बना रक्खा था।
वो अजनबी ही रहे तो अच्छा है, सुना है अहमियत खो जाती है अक्सर मुलाकात के बाद।
उन्होंने हमें देखकर जब मुंह मोड़ लिया,
तो तसल्ली हुई चलो पहचानते तो हैं।
बस जरा सा बेहतर मिलते ही वो बदल देती है प्यार अपना, इन हसीनाओं की अदाएं भी तो किसी तवायफ से कम नहीं।
शेर तो अब अकेला रहता है,
क्योंकि शेरनी को कुत्ता पसंद आ गया।
भुला देंगे तुझे भी जरा सब्र तो कर,
तेरी तरह मतलबी होने में थोड़ा वक्त लगेगा।
चलेगा मुकदमा आसमान में सभी आशिकों पे,
जिसे देखो अपने महबूब को चांद जो बताता है।
मेरी तड़प पर जे सिद्दत से मुस्कुराए हैं,
पता लगाओ ए अपने हैं या
पराए हैं।
और तमाशा देखने वे मेरे डूब जाने का,
मेरी बनायी हुई
कश्तियों में आए हैं।
सब कश्तियॉं जला कर चले साहिलों से हम,
अब तुमसे क्या बताएं कि उस
पार कौन है।
और ये फैसला तो वक्त भी शायद ना कर सके,
सच कौन
बोलता है अदाकार कौन है।
तेरे दिन अच्छे हैं सो हमसे किनारा कर लो,
हम बुरे लोग हैं बुरे वक्त में काम आते हैं।
आज से हम बदलेंगे रास्ता ऐ जिंदगी,
राब्ता सबसे होगा पर वास्ता किसी से नहीं।
इंसान की सोच ही उसे बादशाह बनाती है।
डिग्रियां हर किसी के पास होना जरूरी तो नहीं।।
सजा न दे मुझे बेकसूर हूं मैं,
थाम ले मुझको गमों से चूर हूं मैं।
तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,
और लोग कहते हैं कि बहुत मगरूर हूं मैं।।
तुझसे नाराज़ होने पर जताएंगे नहीं,
हम तेरे शहर आएंगे पर बताएंगे नहीं।
नींद में भी गिरते हैं मेरे आंखों से आंसू,
और तुम
ख्वाबों में भी मेरा हाथ छोड़ देते हो।
तबियत क्या बिगड़ी मेरी लोगों ने नम्बर ले लेकर काल लगाया, और जिसका नम्बर मुझे मुंह जुबानी याद था एक उसी का काल नहीं आया।
बुरा यह नहीं लगा कि तुम्हें अजीज कोई और है,
बुरा तब लगा जब हम
नजरअंदाज किए गए।
ओ मेरे सुख धीरे-धीरे गा अपना मधुर राग।
ऊंचे स्वर में सोयी पीड़ा
जावे कहीं ना जाग।।
भूख से मुरझाए चेहरे घर में कब तक देखता,
फाड़कर डिग्री मुझे मजदूर
होना पड़ा।।
अभी मगरूर है लेकिन बहुत पछताएगा उस दिन।
तू हमसे क्या हमारे साये
से घबराएगा उस दिन।।
हमारे हाथ से छूटेगा जिस दिन सब्र का दामन।
औकात
का तुझको पता चल जाएगा उस दिन।।
दगा भी दूंगा प्यार में कभी कभी ये मेरा वसूल है कबूल है, और तूं रूठेगी तो भी तुझे नहीं मनाऊंगा, जो रुल है वो रुल है कबूल है?
सुबह का चढ़ता ये सूरज शाम तक ढ़ल जाएगा,
जो बुझा बैठा है कोई वो
दीया जल जाएगा।
और वक्त के दरिया में तुफां तुम जरा आने तो दो,
कौन
कितना पानी में है सब पता चल जाएगा।।
फूलों से फूलों का हाल पूछते हो,
मगर काटों को हर बार क्यों छोड़
देते हो तुम,
हम हर बार तो तुम्हें मुस्कुराकर ही देखते
हैं,
मगर हर बार हमारा दिल क्यों तोड़ देते हो तुम?
इश्क के अलावा कई और भी गम हैं जमाने में,
उम्र गुजर जा रही सरकारी
नौकरी पाने में ।
जुबान खराब नहीं विचार कड़क हैं,
रंगों में नहीं जनाब संस्कारों
में फर्क है।
अजीब मुकाम से गुजरा है काफिला मेरा,
सुकून ढूँढने चले थे नींद
गवां बैठे।
सच्ची है मोहब्बत मेरी चाहे आजमाकर देख लो,
यकीं नहीं तो मुझपर
जुल्म ढ़ा कर देख लो।
बदलेगा नहीं मेरे मोहब्बत का रंग कभी भी,
चाहे
जितनी बार हो दिल दुखा कर देख लो।।
हीरे के टुकडें को सोना समझ लिया,
आपने हमको शख्स घिनौना समझ लिया
।
हमने तो आपको अपना दिल दिया था बस,
आपने तो बाजार का खिलौना
समझ लिया।।
तुम्हारे बाद किसी और से दिल्लगी नहीं की,
जिन्दगी में दोबारा कभी
आशिक़ी नहीं की।
मुझे मालूम है मेरी मां पर क्या गुजरेगी,
यही
सोचकर आज तक खुदकुशी नहीं की।।
जिस कद़र लोग चढ़े हैं तरक्की की सीढ़ियां,
उस कद़र कम हो गए
जज्बात हर इंसान में।
पहले स्टेशन पर रोते थे किसी को छोड़कर,
अब
तो आंखें नम नहीं होती हैं कब्रिस्तान में।।
फैक्ट्री गोदाम कोठी मिल मशीनें बिक गयी,
जेब कॉलर बिक गयी और
आस्तीनें बिक गयी।
खाली बोतल बेचने वालों ने ले ली जायदाद,
और
पीने वालों की तो जमीनें बिक गयी।।
लहू रिसने नहीं देता कभी जो अपने अंदर से,
जमाना सोचता है
जख्म वो ताजा नहीं होता।
बस आंखों की उदासी खोलती हैं राजे
दिल वरना,
मेरे चेहरे से मेरे गम का अंदाजा नहीं होता।।
कि बड़े सस्ते में बेची है मासूमियत चेहरे की,
कच्ची उम्र में जिम्मेदारियां लिए खड़ा हूं।
और तुम्हें क्यों लगता है हम दोनों एक जैसे हैं,
तुम बड़े घर के हो और मैं घर का बड़ा हूं।।
सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे हम,
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलाने के लिए।
जिंदगानी के तपते शेहरा में, गुलशनों का रिवाज मत रखना। लोग पैरों तले मसल देंगे, फूल जैसा मिजाज मत रखना।
संभल के बसाएं आंखों में किसी को,
जो गहराईयों को नापते हैं छलकते भी वही हैं।
ग़र सौ बार उतरेगा केचुली अपनी,
जो सांप से पैदा है वो सपोला ही रहेगा।
और दौलत से फक़त हो सकती है जेब ही भारी,
ग़र हल्का है खून तो हल्का ही रहेगा।।
किसी को धोखा देकर यह ना सोचो कि वह कितना बेवकूफ है, बल्कि यह सोचो कि उसे तुम पर कितना भरोसा था।
मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत रहता है।
और उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है,
लेकिन आने जाने का किराया भी बहुत लगता है।।
हमारे खातिर तुम कुछ कर ना सके यह गम ना करना, हमारे बारे में आपने सोचा बस यही काफी है।
किसी भी सूरत किसी रंग में जीत लेता है,
मैं उस ल ड़की को किसी ढंग में जीत लेता।
अगर वो होती किसी रियासत की शहजादी,
मैं तलवा र उठाता और उसे जंग में जीत लेता।।
पैसा कुछ नहीं होता, ऐसा करने के लिए भी प्राय: बहुत पैसा होना चाहिए।
और तेरे प्यार पर लानत तेरे ऐतबार पर लानत,
मैने जो किया उस इन्तिज़ार पर लानत। और
दुनिया में होते हैं एक शक्ल के कई लोग, पर
तेरी फितरत के जैसे उन छिनार पर लानत।।
शुरुआत में ख्वाब तुमको प्यारे-प्यारे दिखाएगी,
उसके बाद तुमको फिर अपने रंग सारे दिखाएगी।
मोहब्बत में जिसको तुम अपना चांद बता रहे हो दोस्त,
एक दिन वो लड़की तुमको दिन में तारे दिखाएगी।।
हर तरफ घात में बैठे हैं यहां दुशासन,
वीर अर्जुन सर लड़ाईया नहीं आने वाला।
खुद तुम्हें दुर्गा के अवतार में ढ़लना होगा,
घोर कलियुग है कन्हैया नहीं आने वाला।।
दुश्मन मेरी 'शिकस्त' पर मुंह खोलकर हंसें।
और दोस्त अपने 'जिस्म'
के अंदर उछल पड़े।।
यह जो बुराइयां दिखती है मुझमें, यकीन
मानो बहुत सी अच्छाईयों
के बाद आयी हैं।
समझ लेते थे पहले लोग अक्सर दिल की बातें भी,
मगर अब बोलने पर भी
सुनाई क्यों नहीं देता ।
और सभी करते हैं दावे यूं तो अपनेपन की,
पर
किसी रिश्ते में अपनापन दिखाई क्यों नहीं देता ।।
जो दे चुके थे अंधेरे हमें बहुत पहले,
वो एक जख्म सदा रोशनी में
लाया गया।
यकीन मानिए इतने बुरे नहीं थे हम,
हमारे बारे में
जितना गलत बताया गया।।
दिल के काले मिले और जहन के नापाक मिले,
मैनें चाहे थे समझदार वो
चालाक मिले।
और दुश्मनों का तो भला जिक्र करूं क्या,
दोस्त भी
तो मुझको दुश्मनों से खतरनाक मिले।।
कैरियर की चिंता भी अजीब होती है यार,
हंसते हुए चेहरे से रौनक छीन लेती है।
हाथ में पकड़े मोबाइल की अहमियत,
पास में बैठे इंसान से ज्यादा हो चुकी है।
जागे वो हैं तो सोए हम भी नहीं हैं,
गलत हम हैं तो दूध का धुला कोई भी नहीं।
इज्जत मैटर करती है जनाब वरना,
फालोवर्स तो _____________ के भी होते हैं।
खैरात में दे आया हूं जीती हुई बाजी,
दुनिया ये समझती है कि हार गया हूं मैं।
उम्र को हराना है तो शौक जिंदा रखिए,
जिंदगी का क्या आज है तो कल नहीं।
हम तो पहले से ही बदनाम है जनाब,
फ़िक्र वो करें जो दूध से धुले हैं।
कर्म ध्यान से कीजिए जनाब !
ना किसी की दुआ खाली जाती है ना बद्दुआ।
उठना बैठना साथ नहीं हो रहा, इसका मतलब;
ये नहीं कि मैं तुम्हें भूल गया मेरे दोस्त।
कुछ.. लोग.. तो; कहेंगे...,
वरना.... जिंदा.. कैसे रहेंगे..।
घोलिए जहर ना ज्यादा भी; सोचिए,
ग़र खुद पीना, पड़ गया
तो फिर।
परिणाम तो चाहे जो भी हो, पर प्रयास हमेशा लाजवाब होना चाहिए।
झूठ बोलने के लिए जुबां चाहिए,
पर सच बोलने के लिए आंखे ही काफी
हैं।
जीवन में जितनी संतुष्टता है उतनी ही खुशी है,
और जितनी खुशी है
उतना ही हल्कापन है।
खुद को अर्पण कर दिया तेरी कश्ती में।
मैं मगन हूं भोलेनाथ तेरी ही
भक्ति में।।
मुझे बहस से नफरत है क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैंने अपना मुंह खोला, तो मैं नियंत्रण खो दूंगा।
आखिर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया, उसी के हो गए।
बहुत संभालकर रक्खा था इस दिल को जमाने से,
लगता है यह चोरी हो जाएगा आपके मुस्कुराने से।
तुम्हीं से सीख रहा हूं हुनर नजर अंदाजगी का,
जो तुम पर आजमाऊं तो मतलबी ना समझना।
शौक नहीं था मैडम तुमसे इश्क करने का,
लेकिन इशारा भी तो तूने ही किया था।
भरोसा उठ गया प्यार के नाम से, साली;
अपनी भी रानी किसी और की दिवानी निकली।
ये चंद मयखाने ही हैं जो दर्द से मरने नहीं देते।
वरना कई इश्क के मारे खुदकुशी कर लेते।।
गजब की धूप है मेरे शहर में फिर भी,
लोग धूप से नहीं बल्कि मुझसे जल
रहे हैं।
बेटा, एक बात पूछनी थी, जन्म से
चूतिया हो या बाद में कोई
कोर्स किया है।
यूं ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस करके, ऐसा
ना हो खुद से बिछड़
जाऊं और तू भी ना मिले।
कसूर तो इन निगाहों का था,
जो चुपके से दीदार कर बैठी।
हमने
तो खामोश रहने की ठानी थी,
कम्बख़त जुबान ही इजहार कर
बैठी।।
हजार लोगों के बीच रहकर भी हम नहीं बदले।
तुम तो एक शख़्स के आते ही
बदल गए।।
जिंदगी सुंदर है पर जीना नहीं आता।
हर चीज में नशा है पर पीना नहीं
आता।।
सब मेरे बगैर जी तो सकते हैं लेकिन,
मुझे ही किसी के बगैर
जीना नहीं आता।।
हम किसी के मोहताज नहीं,
जिसे जाना हो शौक से निकलो।
हमें खोकर फिर से हासिल कर लो,
इतनी औकात नहीं है तुम्हारी।
हम भी तुम्हारी हर चाल से वाकिफ हैं मोहतरमा।
जिंदगी का एक हिस्सा जो
हरामियों में गुजारा है।।
सही हो कर भी गलत होना आसान लगा मुझे,
क्योंकि खुद को साबित करना कठिन लगा मुझे।
अगली बार जब कोई पूछेगा मोहब्बत है तुमसे।
तब तो हम यही पूछेंगे की
कब तक चलेगी।।
बहुत ही LOYAL बनती थी ओ,
अपने हर X की इच्छा पूरी करती थी।
ताल्लुक बरकरार रखना हो तो अच्छाई बखान करो, ताल्लुक खत्म करना हो तो सच्चाई बयान कर दो।
छोटी सी जिंदगी है अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत
हैं।
दिल का दर्द सुनाएं तो किसको सुनाएं,
जो दिल के करीब हैं वो अनजान
बहुत हैं।।
लोग बुरे नहीं हैं "महोदय__"
आप हद से ज्यादा अच्छे हैं।
बिना खोए कुछ नहीं मिलता ऐ दोस्त,
जन्नत भी तो जान मांगती
है।
रूखसत-ए-यार का मंजर भी क्या मंजर था,
हमने खुद को खुद से बिछड़ते
हुए देखा।
मर्द ने जब जब क़लम उठाई,
औरत को खूबसूरत, चांद और बेदाग लिखा।
औरत
ने जब जब कलम उठाई,
मर्द को झूठा, बेवफा और मक्कार लिखा।।
यह खुदगर्जियों का दौर है,
बचपन की कोई कहानी नहीं।
दिलों
में अब नफ़रत भरते हैं लोग,
पक्षियों के लिए घड़ों में पानी
नहीं।।
जिंदगी ने सवाल बदल डाले,
वक्त ने हालात बदल डाले।
हम तो आज
भी वही हैं जो कल थे,
बस लोगों ने अपने जज्बात बदल डाले।।
ध्यान से पक्षियों को देते हो दाना पानी,
ग़र इतने अच्छे हो तो
रिहा क्यों नहीं करते।
थोड़ा महंगा पड़ा औरों के लिए जिंदगी जीना,
उम्र खर्च भी हुई, कुछ
हाथ भी नहीं लगा।
लौट कर नहीं आएंगे अब तेरी जिंदगी में,
शौक से रखो सिलसिला मुझे
नजरअंदाज करने का।
केमेस्ट्री पढ़कर भी लोग नहीं समझते कि,
जब नया बांड बनता है तो
पुराना टूट जाता है।
रवैया बहुत खराब है अभी मेरे हालातों का,
लोग जल्द बुरा मान जाते
हैं हमारी बातों का।
क्या खाक तरक्की की है इस दुनिया ने,
इश्क के मरीज तो आज भी
बे-इलाज हैं।
मुलाकात जरूरी है अगर रिश्ते निभाने हों, वरना
लगाकर भूल जाने से
पौधे भी सूख जाते हैं।
मैंने भगवान से शक्ति मांगी,
उन्होंने मुझे मुश्किल हालात
में डाल दिया।
आज ना सही तो कल किया,
पर आलसियों ने तो बस कल - कल किया।
आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त,
सावन में तो हर पत्ता
हरा नजर आता है।
दुखों में लिपटे हुए लोग,
दुआएं बड़ी कमाल की देते हैं।
अगर तेरी खामोशी एक मजबूरी है,
तो रहने दे इश्क भी कौन सा जरूरी
है।
जिस पर बीतती है उसी को पता होता है,
कि टेंशन भी क्या गजब
की चीज होती है।
ना कोई खुशी ना कोई गम,
जिस तरफ ले जा रही जिंदगी, उधर जा रहे
हम।
मैं किसी से नाराज़ नहीं हूं बस परेशान हूं खुद से,
मुझसे मेरे ही
जिंदगी के मसले नहीं सुलझ रहे।
जाने हमसे क्या जमाना चाहता है,
हर कोई हमें आजमाना चाहता है।
जाने
क्या बात झलकती है हमारे चेहरे से,
हर कोई हमें हंसाकर रुलाना चाहता
है।।
याद है टीचर कहा करती थी,
खाना खाना तो नहीं भूलते होगे।
अब
उन्हें कोई जाकर बताएं,
हां ! अब खाना खाना भी भूल जाता हूं।।
यादें बनकर जो तुम साथ रहते हो मेरे,
इस एहसान के लिए सौ बार
शुक्रिया।।
दोस्त भी जरूरी हैं जिंदगी की भीड़ में,
बिखर जाने पर महबूब समेटने
नहीं आया करते।
दर्द की दास्तान अभी बाकी है,
मोहब्बत का इम्तिहान अभी बाकी
है।
दिल करे तो जख्म देने आ जाना कभी भी,
दिल ही टूटा है जान तो अभी
बाकी है।।
तुम तो आनलाइन होने पर भी रिप्लाई नहीं देते,
हम हिचकियां आने पर
भी डाटा आन कर देते हैं।
टुकड़े टुकड़े में तोड़ा है उसने मुझे,
मैं उसके सामने बेबस हूं यह
मालूम था उसे।
इच्छाओं की सड़क तो बहुत दूर तक जाती है,
बेहतर है कि हम जरूरतों
की गली में मुड़ जाएं।
रातों में नींद नहीं आती ठीक से खाया भी नहीं जाता,
दिल में बहुत
कुछ है मगर बताया भी नहीं जाता।
उतार कर फेंक दी उसने तोहफे में मिली वो पायल,
उसे डर था कि छनकेगी
तो याद जरूर आऊंगा।
क्या फर्क पड़ता है कहां कितना गवां दिया मैंने,
अभी ग़र मैं बचा
हूं तो फिर गया कुछ भी नहीं।
जाते जाते उसने बात ही कुछ ऐसी बोली की फिर,
मुझे अपनी ही पसंद से
नफरत हो गयी।
तुने फैसले ही फासले बढ़ाने वाले किये,
वरना कोई नहीं था तुमसे
ज्यादा करीब मेरे।
सताया ना कर इस बदनसीब इंसान को ऐ जिंदगी,
जिनको लोग चाहते तो है
मगर जरूरत पड़ने पर।
मुफ्त में नहीं सीखा उदासी में मुस्कुराने का हुनर,
बदले में
जिंदगी की हर खुशी तबाह की है।
हकीकत जानूंगा तो सब पराए हो जाएंगे।
भरम में रहने दो अभी सब अपने
हैं।
मुलाकात जरूरी है अगर रिश्ते निभाने हो,
लगाकर भूल जाने से पौधा भी सूख जाता है।
ना ढूंढ मेरे किरदार को दुनिया की भीड़ में,
वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते हैं।
हम लौट आए फिर से उसी कैदे तन्हाई में,
ले गया था हमें कोई जन्नतों का लालच देकर।
वही ताज है, वही तख़्त है,
वही ज़हर है वही जाम है।
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है,
ये वही बुतों का निज़ाम है।।
बड़े शौक़ से मिरा घर जला पर,
कोई आँच तुझ पे न आएगी।
ये ज़बाँ किसी ने ख़रीद ली
ये क़लम किसी का ग़ुलाम है।।
वादों से भरी जंजीर थी जो तोड़ दी हमने,
अबसे जल्दी सोया करेंगे मोहब्बत छोड़ दी हमने।
तरस कर मिलने वाली चीज ___ मुर्शद!
अक्सर बाद में नफ़रत के काबिल होती है।
यही तो जिंदगी है दोस्त,
जीना सिखाए बिना ___ मरने नहीं देती।
लोगों में दहाड़ है और तुम कायल बनते हो, TIMEPASS का जमाना है, तुम LOYAL बनते हो।
सुबह से शाम हो गई लड़ते लड़ते, और
टापिक यह तो कि तुम बात क्यों नहीं करते।
लड़कीबाजी छोड़कर कैरियर पर ध्यान दे भाई,
ये उड़ती तितलियां किसी एक फूल की नहीं हुई।।
खुद की ही तलाश में हूं आजकल मैं तो,
मुझे आवारा कहने वाले तेरी बातों में दम था।
अपना तो वो है जो किसी और के लिए
तुम्हें कभी नजरअंदाज ना करें।
सभी छोड़ते जा रहे हैं आजकल मुझे ऐ जिंदगी,
तुझे भी इजाजत है जाना चाहे तो चली जा।
हमें तो इश्क के दो लफ्ज़ भी नसीब ना हुए,
और बदनाम ऐसे हुए जैसे इश्क के बादशाह थे।
उसने कहा तुम्हारी सोच ही घटिया है,
उस वक्त तो हम उसे ही सोच रहे थे।
उबलते वक्त तो पानी सोचता होगा जरूर,
अगर बर्तन ना होता तो बताता आग को।
बर्फ का वो शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा, बदनाम हो गया। देता जब-तक
अपनी सफाई,
वो खुद श+राब हो गया।।
औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके ग़ालिब। कम्बख़त इश्क
में क्या गिरे,
मुफ्त में नीलाम हो गए।।
कल तक सभी के साथ बड़ा 'मेल जोल' था,
बिगड़ा जो वक्त आज 'बे मेल' हो गए।
हर इम्तिहान पास किया जिंदगी का पर,
रिश्तों में तुम्हें परखने में हम 'फेल' हो गए।।
आपको दिल दिया है हमने नेक समझकर,
कहीं खा मत जाना आप उसे केक समझकर।
चांद ने की होगी सूरज से मोहब्बत,
इसीलिए तो चांद में लगा ये 'दाग' है।
मुमकिन है कि चांद से हुई होगी बेवफाई,
इसीलिए तो सूरज में आज भी आग है।।
जिसे चाहा काश वो हमारा होता,
ख्वाहिशों का भी कोई सहारा होता।
यह सोचकर हमने उसे नहीं रोका की,
दूर ही क्यों जाता अगर वो हमारा होता।।
किनारों पर मोती मिला नहीं करते,
दर्द में कभी हम गिला नहीं करते।
अच्छे न सही हम बुरे ही सही,पर हम
जैसे बुरे भी हर किसी को मिला नहीं करते।।
तुम्हारे माथे पर सजाया गया सिन्दूर हमारी उम्मीदों को खत्म कर सकता है, 'प्रेम' नहीं।
गिरा दे जितना पानी तेरे पास है ऐ बादल,
ये प्यास तो पे__ने से जाएगी तेरे बरसने से नहीं।
मत सोना किसी की गोद में सर रखकर जनाब! जब वह छोड़ना है तो रेशम के तकिए पर भी नींद नहीं आती।
चले जाने दो उसे किसी और की बाहों में,
जो इतनी मोहब्बत के बाद मेरा ना हुआ
तो वो किसी और का क्या होगा।
हम तो गर्दिशों से निकलते ही सवंर जाएंगे।
ये जो नजरों से गिरे हैं वो किधर जाएंगे।।
मेरा दिल पत्थर तो नहीं था,
इसे पत्थर बनाया है किसी ने।
यहां समंदर पहले तो नहीं था,
यहां आंसू बहाया है किसी ने।
फकिराना तबियत है, मिले तो बांट देते हैं।
हमसे मुस्कुराहटों की जमाखोरी नहीं होती।।
मुझमें हजार खामियां हैं माफ कीजिए; मगर आईना बदलने से पहले अपना चेहरा तो साफ कीजिए।
मेरी फितरत में नहीं था तमाशा करना,
बहुत कुछ जानते थे मगर खामोश रहे।
फरमाइशें सिर्फ घर पर ही चलती थी साहब!
जब खुद बनाने लगे तो दाल भात भी खाने लगे।
लौटकर तो वो आते हैं जो रूठकर चले जाते हैं,
टूटकर जाने वाले कभी लौटा नहीं करते।
तुम्हें खोकर इतना तो जान गए,
तुम्हें पाने वाले सब के सब पछताएंगे।
क्यों मिलते हैं चाहत के बदले हमको नए जखम,
ये दर्द दिलों के जाने क्यों, होते नहीं खतम।
सुना है जिंदगी इम्तिहान लेती है,
यहां तो इम्तिहान ने पूरी जिंदगी ले ली।
अच्छा आदमी तो वो भी है,
जिसका दोस्त और नौकर पुराने हैं।
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से,
मोहब्बत करके देखो ना मोहब्बत क्यों नहीं करते।
बहुत नाराज़ है वो और उन्हें हमसे शिकायत है,
कि इस नाराजगी की भी शिकायत क्यों नहीं करते।
गूफ्तगू करिए मगर एहतियात से,
क्योंकि लोग मर भी जाते हैं अल्फ़ाज़ से।
एक सच्चाई पर पहरा उसने रक्खा है।
राज तो कोई गहरा उसने रक्खा है।।
कभी तो होगी उनकी हकीकत बेपर्दा।
कि चेहरे पर एक चेहरा लगाए रक्खा है।।
शहर में रहकर भी तुमको गांव याद आएगा,
पुराने उन साथियों का साथ याद आएगा।
रोटियां जब खाएगा तो मां महसूस होगी,
सुबह काम पर जाएगा तो बाप याद आएगा।।
अधूरे आदमी से हम अधूरी बात करते हैं,
मुसाफिर हैं सफ़र चालाकियों के साथ करते हैं।
ओ मेरे दोस्त हैं लेकिन मेरे दुश्मन से बदतर हैं,
बुराई मेरे पीछे जो मेरी दिन रात करते हैं।
श+राब दौड़ रही है लोगों के रगों में खून नहीं,
मेरी निगाह में अब कोई अफलातून नहीं।
अब तो मैं भी बड़े तजुर्बे से कहता हूं,
गुनाह करने में भले लज्जत हो पर सकून नहीं।।
जरा तहजीब से कह दो तो मर जाएं जवानी में,
कसम दे दो हक से ज़हर तो पी जाएं रवानी में।
तुम्हें दुल्हन बनाने का इरादा भूल जाएं हम,
तुम्हारे इश्क को दफनादें अपनी शेरवानी में।।
जिसके लिए दिल में इतनी बेकरारी है दोस्त,
क्या सबूत है वह लड़की सिर्फ तुम्हारी है दोस्त।
सच्चे आशिकों के हिस्सों में मौत आती है,
ये इश्क एक जानलेवा बीमारी है दोस्त ।।
इतनी सी है बस उसकी पहचान हमारी नजरों में,
वो है अपने दर का ही दरबान हमारी नजरों में।
जिसकी दौलत पेट नहीं भर पाए चंद गरीबों का,
दो कौड़ी का है ऐसा इंसान हमारी नजरों में।।
अपनी औकत पर उतर आए,
यार भी घात पर उतर आए।
पहले मेरा हुनर खंगाला और, फिर
कमीने मेरी जात पर उतर आए।
सच ही कहा था मुझसे एक फ़कीर ने कि,
लोग अपना कहेंगे पर अपना कभी मानेंगे नहीं।
खुश हूं ऐसा भरी महफिल में दिखाना पड़ता है,
कोई देख ना ले डर से आंसू भी छुपाना पड़ता है।
कोई नहीं जिसे बता सके अपने दिल का हाल,
दर्द को भी INSTAGRAM STORY पर लगाना पड़ता है।
एक शख़्स कर रहा है अभी तक वफ़ा का जिक्र,
काश उस जबां - दराज का मुंह नोच ले कोई।
मुसीबत में बुजुर्गों के दिलासे काम आते हैं,
अगर सेनापति टूटे तो लस्कर टूट जाता है।
मेरा दुश्मन परेशां है मेरी मां की दुआओं से,
वो जब भी वार करता है तो खंजर टूट जाता है।
आदत नहीं हमें पलटकर देखने की,
अलविदा कहने वाले आज भी इंतजार में
हैं।
जब दिल टूट जाए तो आवाज नहीं आती,
हर किसी को मोहब्बत रास नहीं आती।
ये तो अपने अपने नसीब की बात है,
कोई भुला नहीं पाता, किसी को याद नहीं आती!
तुम अपनी कहानी जारी रखो प्रिये,
हमारा अध्याय यहीं समाप्त होता है।
दौलत भीख मांगने पर भी मिल जाती है,
लेकिन इज्जत तो कमानी पड़ती है।।
मेरे बच्चों मुझे दिल खोल के तुम खर्च करो,
मैं अकेला ही कमानें के लिए काफी हूं।।
कुछ अलग करना है तो वफ़ा करो दोस्त,
मजबूरी के नाम से बेवफ़ाई तो सभी करते हैं।
इश्क़ जिस तरफ निगाह करेगा,
झोपड़ी हो या महल त+बा+ह करेगा।
हारता वो है जो शिकायतें बार बार करता है,
जीतता वो है जो कोशिश हजार करता है।
कबीरा कुआं एक है पानी भरें अनेक,
बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक।
शामे गम बांटने को शहर में कोई नहीं है,
कटती है तन्हा वक्त काटने को कोई नहीं है।
जह़न में ख्वाब है और जिंदगी पहेली है,
दिन में काम करता हूं और रात अकेली है।
असली खेल वहीं से शुरू होगा,
जहां आपको लगे कि सब खत्म हो चुका है।
हमसे पूछो कि मुहब्बत में खसारा क्या है,
जान लेकर भी कोई पूछे कि हारा क्या है।
एक उम्र कटी है जिनकी वफादारी में, वो कहते हैं
तुम तो पागल हो तुम्हारा क्या है ..!
आसमान जमीन पर रहता है जब पैसा पास हो तो,
जह़ऽर लगती है दुनियां जब दिल उदास हो तो।
इसीलिए तो किसी को बताने वाला नहीं,
कि तेरा मेरा ताल्लुक जमाने वाला नहीं।
पलटके आ ही गए हो तो इतना ध्यान रहे,
तुम्हारा दोस्त हूं लेकिन पुराने वाला नहीं।।
दिल के अरमानों को जलाकर राख कर देगी,
तेरी जिंदगी को भी एक दिन खाक कर देगी।
ये रात भर जाग जाग कर जिससे बातें करता है,
एक दिन यह नागिन तुझे बर्बाद कर देगी।।
अगर इश्क करो तो वफा भी सीखो साहब!
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत
नहीं होती।।
तुम जो कहो, सही हो, जरूरी है क्या ?
तेरी शिकायतों में रब की
मंजूरी है क्या ?
दिल के जज्बातों को तुमने समझा ही कब
है,
रोकर भी कोई मुस्कुराए, मजबूरी है क्या ?
सामान बांध लिया है मैंने अब बताओ ग़ालिब..
कहां रहते हैं वे
लोग जो कहीं के नहीं रहते?
लिया मोहब्बत की चादर जब इश्क के बाजार में,
भीड़ से आवाज आई
कफन भी साथ लेते जाना,
अक्सर यार तो बेवफा होते हैं....
!
घर से भागना है तो संभाल कर भागना राजा !
हमने कटघरे में
बदलती हुई रानी देखी है..।
जो आए मेरे मन में तो धीरे से पढ़ लेती है,
मैं लाख मना करूं
तो फिर भी ,
कागज से कलम सब कुछ कह देती है।
नादान है वो लोग जो इश्क नहीं करते..
अरे जिगरा चाहिए बर्बाद
होने के लिए !
भूल गया हूं जिसको कब का मैं,
ख़्वाबों में हर रोज़ दिखाई
देती है।
कुछ शेर लिखा हूं उसकी आँखों पर,
कागज़
से आवाज़ सुनाई देती है।।
हुस्न खुदा ने दिया, आशिक हम हो गए;
वो नसीब किसी और की थी
बर्बाद हम हो गए।