Holika Dahan 2025: होलिका दहन गलत क्यों हैं, सच्चाई जानकर आप हो जाएंगे हैरान

Holika Dahan 2025: होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

होलिका दहन: न्याय की विजय का प्रतीक

Holika Dahan 2025: होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इसे एक व्यक्ति को जलाने की घटना के रूप में देखते हैं और इसे अनुचित ठहराने का प्रयास करते हैं, लेकिन वास्तव में, यह एक गहरी आध्यात्मिक और सामाजिक शिक्षा प्रदान करने वाला पर्व है। आइए समझते हैं कि होलिका दहन क्यों गलत नहीं है, बल्कि यह सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना का पर्व है।

Holika Dahan 2025

पौराणिक संदर्भ: होलिका दहन की कथा हमें भगवद् भक्ति और अधर्म के नाश की सीख देती है। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह अपने भक्ति मार्ग पर चलने वाले पुत्र प्रह्लाद को अग्नि में भस्म कर दे। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए और स्वयं होलिका जलकर राख हो गई। यह घटना यह सिद्ध करती है कि अन्याय और अधर्म का अंत निश्चित है।

Holika Dahan wishing 2025

सांस्कृतिक और नैतिक महत्व

  1. बुराई पर अच्छाई की जीत: होलिका दहन हमें यह संदेश देता है कि कोई भी अत्याचारी, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और भक्ति के आगे टिक नहीं सकता।
  2. सद्गुणों को अपनाने की प्रेरणा: यह त्योहार हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में सच्चाई, धर्म और ईमानदारी को अपनाएं।
  3. सामाजिक एकता: यह पर्व समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। सभी वर्गों और समुदायों के लोग एक साथ मिलकर होलिका दहन करते हैं और यह दर्शाता है कि सभी को समान अवसर और न्याय मिलना चाहिए।
  4. पुरानी नकारात्मकता को जलाना: यह परंपरा केवल पौराणिक कथा से जुड़ी नहीं है, बल्कि हमारे भीतर की बुरी आदतों, नकारात्मक सोच और ईर्ष्या जैसी भावनाओं को त्यागने का अवसर भी है।
निष्कर्ष होलिका दहन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। इसे अनुचित ठहराना इसकी गहरी आध्यात्मिक और नैतिक सीखों को अनदेखा करना होगा। यह त्योहार हमें जीवन में अच्छाई, सच्चाई और ईश्वर भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसलिए, होलिका दहन को गलत नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि इसे सत्य और न्याय के पक्ष में खड़े होने का प्रतीक मानकर गर्व से मनाना चाहिए।

होलिका दहन में किसी निर्दोष स्त्री को प्रताड़ित नहीं किया जाता है, बल्कि यह अन्याय और अधर्म के विरुद्ध सत्य की जीत का प्रतीक है। होलिका स्वयं एक छलपूर्ण योजना का हिस्सा थी, लेकिन भगवान की कृपा से सत्य की रक्षा हुई। इसलिए, होलिका दहन को महिला उत्पीड़न से जोड़ना उचित नहीं है। 

1 comment

  1. Dheeraj Upadhyay
    Bhut hi acha hai aap hamari Sanskriti kay baray may logo ko jagrup kar rhe hai 🙏🙏🥰🥰
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