Best Unique Sad Shayari in Hindi
भरोसा जिसपे होता है मुझे लोगों जमाने में।
वही आगे निकलता है हमेशा दिल दुखानें में।।
समझ में कुछ नहीं आता, यकि़ किस पर करूं।
मैं जिसको अपना कहूं वही लगता मिटाने में।।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है।
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
ज़िन्दगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।।
सबके हो गए मगर खुद के ना हो पाए,
हम जिंदगी के गमों को अश्कों से ना धो पाए।
पेड़ लगा दिए मोहब्बत का छांव देने के लिए।
पर दिल की बंजर जमीं पर पौधा ना बो पाए।।
जिंदगी को तन्हा विरानों में रहने दो,
ये वफ़ा की बातें ख्यालों में रहने दो।
हकीकत में आज़माने से टूट जाते है दिल अक्सर,
ये इश्क़ मोहब्बत की बातें किताबों में रहने दो।।
कहते हैं पागल का कोई भरोसा नहीं।
पर कोई यह नहीं सोचता कि;
भरोसे ने उसे पागल कर दिया।।
फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सराहाने की;
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की।
तुम भी छोड़कर चले गए हमें;
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।।
सारी उम्र आँखों मे एक सपना याद रहा।
सादिया बीत गयी वो लम्हा याद रहा।।
जाने क्या वो बात है आपमें।
सारी महफ़िल भूल कर बस वो पल याद रहा।।
याद में तेरी आँख भरता है कोई।
हर सांस के साथ याद करता है कोई।।
मौत तो ऐसी चीज़ है जिसे आना ही है।
लेकिन तेरी जुदाई में रोज़ मरता है कोई।।
जब से तेरे संग ये दुरी हो गयी।
जिन्दगी जीना जैसे ये मज़बूरी हो गयी।।
आज पूरी हो गयी हर ख्वाहिश मेरी।
मगर तेरे बिना जिन्दगी अधूरी हो गयी..
जिन्दगी का हर लम्हा खूबसूरत बन सकता था।
मुश्किलें हट सकती थीं रास्ता बन सकता था।।
आज बेशक छूट जाये मेरी दुनियाँ मेरे हाथों से।
तुम अगर साथ देते तो कारवां बन सकता था।।
जब से मेरी तेरे संग ये दूरी हो गयी।
जिन्दगी जीना जैसे ये मज़बूरी हो गयी।।
आज पुरी हो गयी हर ख्वाहिश मेरी।
मगर तेरे बिना जिन्दगी अधूरी हो गयी।।
मेरे प्यार को कोई समझ ना पाया।
रोती थी जब तन्हा कोई पास ना आया।।
मिटा दिया खुद को उसके प्यार में।
और लोग कहते है मुझे प्यार करना ना आया।।
हमने किताब बहुत सी पढ़ी है,
पर याद कुछ नहीं रहता।
वक़्त पर जरुरत की कुछ बातें,
कहने को याद नहीं रहता।।
खुद से ही पूछती हूं कितना अनजान हैं हम भी,
वो पुराना सफर अब याद नहीं रहता।।
कितना भी चाहो ना भुला पाओगे।
हमसे जीतना भी दूर जाओं नजदीक पाओगे।।
हमें मिटा सकते हो तो मिटा दो।
यादें मेरी क्या सपनों से जुदा कर पाओगे।।
ना तुम पूछोगे, ना हाल हम अपना बतायेंगे।
तुम्हारे दर्द से उबरने के लिये, ज़हर भी पी जाएंगे।।
कभी मोहब्बत हो जाये तो इज़हार मत करना।
उस प्यार के लिये अपनी नींदे खराब मत करना।।
कुछ दिन तो आयेंगे तुमसे मिलने वे;
फिर कहेंगे अब मेरा इंतेज़ार मत करना।।
ना वो कभी आ सके ना हम कभी जा सके।
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके।।
बस बैठे हैं उसकी यादों मे खोये हुए।
ना उन्होंने याद किया ना हम भुला सके।।
दुनिया में फकत हम नहीं बर्बाद हुऐ हैं,
यहां कितने ही मुहब्बत में नाकाम हैं यारों।
इस दिल को तसल्ली ना हिमायत की है उम्मीद,
उसे तोड़ कर जाने दो ये उसका काम है यारों ।।
बस उसके ही जलवों से तो रोशन नहीं है रात,
हम भी तो दिल जलाते सरेआम हैं यारों।
कितनी मोहब्बत है तुमसे ये सफाई ना देंगे।
साये कि तरह साथ रहेंगे पर तुझे दिखाई ना देंगे।।
SAD SHAYARI IN HINDI
कपड़ों के जैसे तूने तो प्यार बदल लिया,
लहजा बदल लिया किरदार बदल लिया।
ए नया साल उन लोगों को भी मुबारक हो,
साल बदलते ही जिन्होंने यार बदल लिया।।
मेरी जिंदगी की पूरी तरह बर्बादी करके,
वो खुश है किसी और से शादी करके।
सुना है किसी को दूध का गिलास देती है,
मेरे हाथों को शराब का आदी करके।।
दर्द जो दे किसी को मैं वो इंसान नहीं,
खामियां मुझमें भी हैं मगर मैं बेईमान नहीं।
अश्क महफूज़ रूमालों में कर दिया,
मैंने तन्हा को बंद तालो में कर दिया।
मैंने सबूत कोई भी छोड़ा नहीं उल्फत,
और निशां जख्म का छालों में कर दिया।।
कभी ना पूरी होने वाली सजा दिया करते हैं,
प्यार भरी तस्वीरों को जला दिया करते हैं।
उसे गैरों की बाहों में देखा तो समझ आया,
क्यों लोग बेवफाओं को बद्दुआ दिया करते हैं।।
बटुए को कहाँ मालूम पैसे उधार के हैं..
वो तो बस फूला ही रहता है अपने गुमान में।
मर जाएं तो कीमत बढ़ जाती है इंसान।
जिंदा रहे तो दुनिया जीने की सजा देती है।।
मैं जो हूँ मुझे रहने दे हवा के जैसे बहने दे।
तन्हा सा मुसाफिर हूँ मुझे तन्हा ही रहने दे।।
तरस जाओगे मेरे लबों से कुछ सुनने के लिए,
बात करना तो दूर हम शिकायत भी नहीं करेंगे।
उसकी डोली कोई और ले गया
हम तो परदेश में कमाते ही रह गए।
घनघोर काली घटाओं सी थी उसकी मुहब्बत,
छाई मुझपे रही बरस किसी और पे गई।
फिर कोई ज़ख्म मिलेगा तैयार रह ए दिल,
कुछ लोग पेश आ रहे हैं बड़े प्यार से....!
उसूल मर गए झूठी शान ज़िंदा है,
इंसानियत मर चुकी है बस इंसान ज़िंदा है।
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की,
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा हो।
तो मोहब्बत कैसे नहीं होती।।
आज तुम्हारी याद ने मुझे रुला दिया।
क्या करूं तुमने जो मुझे भुला दिया।।
ना करते वफ़ा न मिलती ये सजा।
मेरी वफ़ा ने तुझे बेवफा बना दिया।।
हमारे जख्मों की वजह भी वो है,
हमारे जख्मों की दवा भी वो है।
नमक जख्मों पे लगाए भी तो क्या हुआ,
मोहब्बत करने की वजह भी तो वो है।।
शहर को तोड़ के एक घर बना लिया।
अपनों को छोड़ के गैरों को अपना लिया।।
स्वयं की खोज में औरों को गवा दिया।
एक की गलती ने हज़ारों को मिटा दिया।
कल की चाह में आज को भुला दिया।
इस कलयुग ने तो गिरे को उठा लिया।।
तुम बिन जिंदगी सूनी सी लगती है,
हर पल अधूरी सी लगती है।
अब तो इन साँसों को अपनी साँसों से जोड़ दो,
अब ये जिंदगी कुछ पल की ही लगती है।।
बिछड़ के उसका दिल लगेगा भी तो कहां लगेगा।
वो थक जायेगा और मेरे गले से आ लगेगा।।
मैं मुश्किल में तुम्हारे काम आऊं ना आऊँ।
मुझे आवाज़ लगाना तुम्हें अच्छा लगेगा।।
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे।
आँख तो भर आती है पर तुम नज़र नहीं आते।।
रिश्ते जितने सुनहरे होते है।
दर्द भी उतने ही गहरे होते है।।
कोई देखता नहीं उन आँखों को ।
जिनमें समंदर ठहरे होते हैं।।
मिज़ाज़ हमारा गजब का था,
बेहद ही लाजवाब थे हम।
मेरा यार ही अनपढ़ निकला,
वरना खुली किताब थे हम।।
इश्क़ भी था .. यकिन भी था,
उसे पाने की हसरत भी थी।
बस ये भूल बैठी थी,
कि उसके मेरे चाहत के दरमियान;
एक चीज़ किस्मत भी था।।
इस बहते दर्द को मत रोक,
ये तो सजा है किसी के इंतज़ार की।
लोग इसे आंसू कहें या दीवानगी,
पर ये तो निशानी है किसी के प्यार की।
इस दुनियाँ में कोई भी अपना नहीं होता,
लाख निभाओ रिश्ता कोई अपना नहीं होता।
गलतफहमी रहती है थोड़े दिन, फिर
इन आँखों में आंसुओ के सिवा कुछ नहीं रहता।।
ना सिकवा रहा ना शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत, जो
इन तन्हाइयों से हो गयी है।।
हमारे जीने का अंदाज़ अलग है।
एक आँख में आँसू तो दूसरे में ख्वाब है।
दिल्लगी थी या दिललगी कहाँ समझ पाए तुम।
होठों की मुस्कराहट तो देखी,
मगर आँखों की नमी कहाँ पढ़ पाए तुम।।
कुछ ना किया उसने पर दर्द बेहिसाब दे दिया।
अरे देखो ना मुझ अनपढ़ को;
उसने मोहब्बत की किताब दे दिया।।
सच्चे इश्क़ की फितरत ही ऐसी होती है,
शरीफों को मिलती नहीं और,
कमीनों से संभलती नहीं।।
इंतज़ार का मतलब उससे पूछिए साहेब,
जिसको पता हो कि मिलना नसीबो में नहीं है;
फिर भी इश्क़ किये बैठे है।
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा।
ना जाने क्या बात थी उनमें और हममें,
सारी महफ़िल भूलके बस वो चेहरा याद रहा।।
दिल लगाके किसी और से, वक़्त बिताते थे हमसे,
एक रोज़ हमने अपने हिस्से का वक़्त मांग लिया;
वो सारा वक़्त ही समेट कर चले गये।।
ठोकर ना लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मै्ं,
मुझे हैरत से ना देख कोई मंज़र नहीं हूँ मैं।
उनकी नज़र में मेरी कदर कुछ भी नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं।।
भूल सको तो भूल जाओ,
ना भूल सको तो लौट आना;
एक और भूल की इज़ाज़त है तुम्हें!
बहुत नाप तौल के दिया था उसने,
जैसे इश्क़ नहीं एहसान किया था उसने।
मेरी नम आँखे देखकर जिसकी पलकें ना भीगी,
तू ही बता क्या खाक इश्क़ किया उसने।।
वो मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफरत भी तेरी है।
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी तेरी थी।।
मैं अपनी वफ़ा का इन्साफ किस्से मांगती,
वो शहर भी तेरा था, वो अदालत भी तेरी थी।।
दिल में हर किसी का अरमान नहीं होता,
हर कोई दिल का मेहमान नहीं होता।।
एक बार जिसकी आरज़ू दिल में बस जाती है,
उसे भुला देना इतना आसान नहीं होता है।।
उनकी आँखों में इस कदर नूर है,
कि उनके ख्यालो में रोना भी मंज़ूर है।
बेवफा भी नहीं कह सकते उनको क्योंकि,
प्यार हमने किया था वो तो बेक़सूर है।
कुछ ना कुछ तो जरूर होना है,
सामना आज उनसे जरूर होना है।
तोड़ो फेंको रखो करो कुछ भी,
दिल हमारा है, तो क्या खिलौना है।
कौन किसे याद रखता है,
भला खाक हो जाने के बाद।
कोयला भी यहाँ कोयला नहीं रहता,
राख हो जाने के बाद।।
हुस्न ढल गया गुरुर अभी बाकी है,
नशा उतर गया सुरूर अभी बाकी है।
जवानी ने दस्तक दी और चली गयी जेहन में,
लगता है कहीं फितूर अभी बाकी है।।
करते रहे मिन्नतें हाथ जोड़े बहुत हैं,
फिर भी उसने मेरे सपने तोड़े बहुत हैं।।
उसी के लिए मांगता है दिल दुआये जिसने,
इस दिल पे छोड़े जख्म बहुत है।।
इतने गहरे जख्म थे कि निशाँ मैं हटा न सका,
इतना जिद्दी नसीब है की हाथों से मिटा न सका।
बस कुछ यूँ बस गया मेरे मन में वो बेवफा,
कम्बख्त इश्क़ ऐसा कि चाहकर भी घटा ना सका।।
ना कोई वाकिफ कितने दर्द लिए चलती हूँ,
टूटती हूँ हर सुबह जब आईना देखती हूँ।
झूम के चलती हूँ हँस कर मिलती हूँ,
मैं रोज़ ऐसे कितनों को दाग झेलती हूँ।।
नाराज़गी खत्म हो जाएगी रूठने से होगा क्या,
याद तो फिर भी आएगी भूल जाने से होगा क्या।
रिश्ता तो फिर भी रहेगा छूट जाने से होगा क्या,
अगर साथ लिखा होगा जिंदगी में सफर,
किस्मत फिर ढूढ़ लाएगी दूर जाने से होगा क्या।।
उठा के गम को चले कहाँ तुम,
यहां नहीं ठिकाना कहीं ख़ुशी का।।
कभी आह लब पर मचल गयी,
कभी अश्क आंखों से ढल गये।
ये तुम्हारे ही गम के चिराग है,
जो कभी बुझ गये तो कभी जल गये।।
जिसके होठों पे तबस्सुम है मगर आँखें नम हैं,
उसने गम अपना ज़माने से छुपाया होगा।
खामोश है मगर आँखों में लिखा है,
कि हाल ऐ दिल कोई पढ़ ले, बताया न होगा।।
हमारे मिलन की आस है ये जिंदगी,
हर सुख और दुःख का एहसास है ये जिंदगी।
कभी फुर्सत मिले तो मेरे ख्वाबों में आओ,
तुम्हारे बिना बहुत उदास है ये जिंदगी।।
देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं,
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके है।
गुज़रा कोई आज़ तक इस रास्ते से होकर,
फिर भी इसपे कदमों के निशान किसके है।।
क्या करते हम भी,
हमारे बीच में रिवाज़ो की दीवार थी।
ना मैं समझाने के काबिल रहा,
ना लोग ही समझदार थे।
हक़ से दे तो तेरी नफरत भी कबूल है हमें,
खैरात में हम किसी की मोहब्बत भी नहीं लेते।।
यूँ तो हर दिल में दर्द नया रहता है,
बस बयां करने का अंदाज़ जुदा होता है।
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते है,
और किसी की हसीं में भी दर्द छुपा होता है।।
कोई हमारी गलतियाँ बताये तो अच्छा होता,
हादसे से पहले दिल घबड़ा जाये तो अच्छा होता।
ऐसे बुरा नहीं बोला करो एक दूसरे के प्यार को,
असली चेहरा सामने आ जाये तो अच्छा होता।।
हर कोई रूठ जाता है फिर मनाने के लिए,
पुरानी यादें होती है अक्सर सताने के लिए।
रिश्तों को बनाये रखना इतना भी मुश्किल नहीं है,
सबके दिलों में प्यार होना चाहिये उसे निभाने के लिये।।
लिखँ कुछ आज ये वक़्त का तकाजा है,
मेरे दिल का दर्द अभी हरा और ताज़ा है।
गिर पड़े है मेरे आँसू मेरी ही कागज़ पर क्यूं,
लगता है कलम में स्याही का दर्द कुछ ज्यादा है।।
दर्द दे गये और सितम भी दे गए,
जख्म के साथ साथ वो मरहम भी दे गए।
दो लफ्ज़ों से वो कर गये अपना मन हल्का,
और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।।
पूरी बोतल ना सही एक जाम तो हो जाये,
मिलना न सही दुआ सलाम तो हो जाये।
जिसकी याद में हम बीमार होकर बैठे हैं,
उन्हें बुखार ना सही, सर्दी-जुखाम तो हो जाये।।
आपको देखकर ये निगाह रुक जाएंगी,
ख़ामोशी अब हर एक बात कह जाएगी।
पढ़ लो अब इन आँखों में अपनी मोहब्बत,
कसम से सारी कायनात इसे सुनने को थम जाएगी।
जिंदगी हर हाल में एक मुकाम मांगती है,
किसी का नाम तो किसी से ईमान मांगती है।
बड़ी हिफाज़त से रखना पड़ता है दोस्त इसे,
रूठ जाये तो मौत का सामान मांगती है।।
हर कोई हमारा हो जाये ऐसी हमारी तकदीर नहीं,
हम वो सीसा हैं जिसमें कोई तस्वीर नहीं।
दर्द से रिश्ता है हमारा खुशियाँ हमें नसीब ना हुई,
हमें भी कोई टूट के चाहे इतने हम खुसनसीब नहीं।।
जब भी किसी को करीब पाया,
कसम उपरवाले की वही पर धोखा खाया।
क्या शिकवा करें हम बेरहम काँटों से,
जख्म तो हमनें नाजुक फूलों से पाया।।
सारा गुनाह इश्क़ का मुझपे ही डाल दो,
मुज़रिम मुझे बनाकर मुसीबत को टाल दो।
इन चमन से जहां कोई खिला एक फूल हो,
उसे तोड़कर दिलजलों के तरफ उछाल दो।
छोड़ा था जिसके लिए शहर अपना,
वो खुद शहर छोड़ के चला गया।
कमी दिल की कहूं या किस्मत की,
बनाया था वही किस्मत दिल तोड़ के चला गया।।
तुम्हारी याद में आँखे जरा भिगो लेते,
उदास रात की तन्हाईयों में सो लेते।
अकेले गम का बोझ संभलता नहीं है अब,
अगर तुम मिल जाते तो जरा लिपट के रो लेते।।
ज्यादा लिखने पर ज्यादा ख्याल आते हैं।
हर चीज़ के होने पे कई सवाल आते हैं।।
उन्हीं से पूछो प्यार का असली मतलब।
मोहब्बत से जो गुजर कर बेहाल आते हैं।।
इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर।
शहर में तेरी जीत से ज्यादा चर्चे मेरी हार के हैं।।
लहजे में बद्त्तमीजी चेहरे पे नक़ाब लिए फिरते हैं।
जिनके खुद खाते ख़राब हैं वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं।।
सुना भी कुछ नहीं, कहाँ भी कुछ नहीं,
पर ऐसे बिखरे है जिंदगी की कश्मकश में,
कि टूटा भी कुछ नहीं, और बचा भी कुछ नहीं।
कांटे गुल के साथ नहीं चल सकते हैं,
बुजदिल खुल के साथ नहीं चल सकते हैं!
रास्ते में जो छोड़ गया उसे जाने दो,
सब ....... के साथ नहीं चल सकते हैं!
एक राज राज बनके रह गया!
मेरा सच्चा प्यार मजाक बनके रह गया!!
दौलत के सौदागर से दिल्लगी कर बैठे थे,
इसलिए मेरा प्यार मज़ाक बनकर रह गया!!
फुरसत में याद करना हो तो मत करना।
हम तन्हा जरूर हैं पर फिजूल नहीं..!
बेशक पुरुषों का फर्ज है कि वो,
औरतों का सम्मान करें।
पर औरतों का भी फर्ज है कि,
वो खुद को इस सम्मान के काबिल बनाए रखें।
इस बे-रंग ज़माने की अदाकारी पे हँसी आती है,
मेरे खिलाफ साज़िशों की तैयारी पे हँसी आती है।
इस महफ़िल में लगेंगी बोलियाँ कई हजारों की।
मुझको तो अंजाम-ए-खरीदारी पे हँसी आती है।
यूँ ही कर दे कोई बदनाम तो क्या करें।
लग जाये बेवज़ह इल्जाम तो क्या करें।।
सोचा ये गुनाह कर ही लेना चाहिये,
लेकिन फितरत ही कर दे नाकाम तो क्या करें।।
"फिर लिखेंगे" नये सिरे से "कहानी" अपनी.!!
ये "बर्बादियों" का दौर है,, बस
इसे "ख़त्म" हो जाने दो.!!
मांगना ही छोड़ दिया हमने वक्त किसी का।
क्या पता उसे इंकार करने का ही वक्त ना हो।।
ना जाने क्यूं अपनो ने मुंह मोड़ दिया इस तरह।
फिर हमसे रिश्ता तोड़ दिया,
धीरे धीरे आपने मैसेज करना छोड़ दिया।
उल्फत बदल गयी कभी नियत बदल गयी।
अपना कसूर दूसरे के सर पर डाल के।
कुछ लोग सोचते हैं कि हक़ीकत बदल गयी।
खुदगर्ज़ जब हुआ तो फ़िर सीरत बदल गयी।
ना वो आ सके ना हम कभी जा सके।
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके।
बस खामोश बैठे हैं उनकी यादों में।
ना उसने याद किया ना हम उन्हें भुला सके।
हर मुलाकात पर वक़्त का तकाजा हुआ।
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ।।
सुनी थी लोगों से सिर्फ जुदाई की बातें।
खुद पर बीती तो हक़ीकत् का अंदाज़ा हुआ।।
मंज़िल मुश्किल थी पर हम खोये नहीं,
दर्द था दिल में पर हम रोये नहीं।
कोई नही यहाँ हमारा जो हमसे पूछे,
जाग रहे हो या किसी के लिये सोये नहीं।।
इतना मत तरसा कि, तुझे तेरे किये पर,
क्या पता, अफसोस हो...
कल तुम मुझसे बात करना चाहो,
और मेरा दिल खामोश हो।
ज़रा सा साथ चलके रास्ते में छोड़ देती है।
मुहब्बत दिल बनाती है, मगर फिर तोड़ देती है।।
कहानी में मेरी इक किरदार है उसका।
मगर वो जब भी आती है कहानी मोड़ देती है।।
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख्वाब नहीं।
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नहीं।
जिन्हें पनाह मिली उन्हें उँगलियों पर गिन लो।
जो बरबाद हुए उनका कोई हिसाब नहीं।
कई दफा खुद से बढ़कर,
किसी से तुम मोहब्बत करते हो।
इतने सस्ते हो जाते हो तुम,
कि उन्हें मुफ्त के लगते हो।।
नदी जब किनारा छोड़ देती है,
तो राह की चट्टान को भी तोड़ देती है।
बात छोटी सी अगर चुभ जाये दिल में,
तो जिंदगी के रास्तों को भी मोड़ देती है।।
किस्मत ने तो तुमसे दूर कर दिया,
अकेलेपन ने दिल को मज़बूर कर दिया।
हम भी जिंदगी से मुँह मोड़ लेते,
पर तुम्हारे इंतज़ार ने जीने पे मज़बूर कर दिया।
जान से ज्यादा प्यार उन्हें करते थे,
याद उन्हें रात दिन किया करते थे।
अब उन राहों से गुजरा नहीं जाता,
जहाँ बैठ कर उनका इंतज़ार किया करते थे।।
आज तुम्हारी याद ने मुझे रुला दिया,
क्या करूं तुमने जो मुझे भुला दिया।
ना करते वफ़ा ना मिलती ये सजा,
मेरी वफ़ा ने तुझे बेवफा बना दिया।।
अपनी तो मोहब्बत की इतनी कहानी है।
टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है।
कई फूल किताबों में दम तोड़ चूके हैं,
मगर कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है।
हर शख्स ज़माने में बीमार जैसा है,
हर वक़्त जिंदगी में लाचार जैसा है।
नज़र आती नहीं है राह मंज़िल की,
दिल जख्मों को सहने को तैयार जैसा है।
जिंदगी में वो लोग बड़े खुशनसीब होते हैं,
जिन्हे प्यार के बदले प्यार मिला।
पर दुनिया में मैं सबसे ज्यादा बदनसीब हूँ,
जिसे प्यार करके भी कभी प्यार ना मिला।
दिल में घाव सा कर जाती हैं उनकी निगाहें,
मुड़ कर देखने वाले जब देखते ही मुड़ जाते हैं।
समझोगे तुम कहां कि इश्क बेपनाह क्या होता है।
क़ातिल को कहां खबर दर्द कितना कहां होता है।।
दिल को चोट अक्सर वही लोग देते हैं।
जिनपर हम दिल खोलकर भरोसा करते हैं।।
उनकी सोहबत में गए, सम्हले, दोबारा टूटे।
हम किसी शख्स को दे दे कर सहारा टूटे।
ये अजीब रस्म है बिल्कुल ना समझ आई हमें।
प्यार भी हम ही करें और दिल भी हमारा टूटे।।
किस्मत ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम।
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम।।
किसी ने विश्वास तोड़ा तो किसी ने तोड़ा दिल,
और लोग कहते हैं कि बहुत बदल गए हैं हम।।
मेरी चाहत का मुझे ही नुकसान हो गया।
मैंने इतना चाहा कि वो मुझसे परेशान हो गया।।
कभी जीने वालों से भी पूछो कि वो जिंदा कैसे हैं।
मरना वालों को तो सब पूछते हैं कि वो मरा कैसे।।
अश्क गिरते भी नहीं पलकों से,
और दिल बेहिसाब रोता है ...!
बड़े ही बदनसीब होते हैं वो लोग,
जिन्हें किसी से इश्क़ होता हैं ...!
टूटे नहीं थे, तोड़े गए हैं हम,
और रोए नहीं रूलाए गए हैं हम।।
चलो माना कि इतने अच्छे नहीं थे हम।
पर इतने भी बुरे नहीं जितने बताए गए हैं हम।।
बेवजह छोड़ने वाले हमें ठुकराके रोए हैं।
दिलों से खेलने वाले हमें आजमाके रोए हैं।।
कभी थक कर सो गए, तो कभी रातभर ना सोए।
कभी हंसकर ग़म छुपाए, कभी मुंह छुपाके रोए।।
मेरी दास्तां-ए-मुहब्बत वो सुना सुना के रोए।
आए थे जो तमाशा देखने मेरी बेबसी का;
वो लोग भी मुझे गले लगा लगाके रोए।।
कभी मैंने किसी को आजमाया ही नहीं।
जितना प्यार दिया उतना कभी पाया ही नहीं।।
किसी को मेरी भी कमी महसूस हो।
शायद खुदा ने मुझे ऐसा बनाया ही नहीं।।
वो गए तो मुझे भुलाकर,
एक दिन रोएंगे वो मुस्कुराकर।
सबसे पूछेंगे मेरा पता,
जो ना मिली तो ढूंढेंगे मुझे चिल्लाकर।।
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई।
तब तब मेरे पैरों में जंजीर नजर आई।।
तो निकल पड़े इन आंखों से हजारों आंसू।
और हर आंसू में आपकी तस्वीर नजर आई।।
तेरी यादों का सितम भी कहां कम हो रहा है।
पहले तो वो मामूली सा दर्द था;
मगर अब तो वह ज़ख्म हो रहा है।।
ख्वाबों के सफर में कभी किस्मत की रज़ा ना मिली।
सजा तो मिली मगर गलतियों की वजह ना मिली।।
कैसे करें बयान अपना दर्द-ए-हाल यारों।
काम बहुत आए पर दिल में जगह ना मिली।।
शायद उनका आखिरी हो, ये तोहफ़ा-ए-दर्द..,
हर दर्द ये सोच कर, हम सहते चले गए!
कितना दर्द लिए चलता हूं बतलाऊं क्या,
हर शायरी में है जिक्र तुम्हारा सुनाऊं क्या।
और सुना है नफरत है तुम्हें मेरे लिखने से,
अब चाहती क्या हो मर जाऊं क्या।।
अदाकारी ऐसी कि, हमेशा मुस्कुरा के रोया हूँ,
नादानी ऐसी कि वाकिफ़ था जहां वहीं पे खोया हूँ।
मैं किस दर्द से गुज़रा हूँ, तुम्हे क्या बताऊँ यारों,
मख़मली रज़ाई के तले, कांटो की सेज पे सोया हूँ।
चंदा बार-बार छिप जाता हैँ, ऐसा सितारें मानते हैं;
दर्द-ए-जुदाई का गम, सिर्फ आशिक़ जानते हैं।
सबसे दूर जाना है ख़ुद के करीब आने के लिए,
किसी का दर्द तो बस एक मुद्दा है ज़माने के लिए।
तुमसे दर्द पाकर भी नाराज़ नहीं हूँ,
कुछ इस तरह में दिल्लगी निभा रहा हूँ।
दर्द हैं तो हैं दर्द भी जिंदगी का एक हिस्सा हैं,
पर इसका मतलब ये नहीं कि कुछ ग़लत करे।
बड़ा दर्द दिया है उसने आज उसकी याद दिलाकर,
जिसने ज़हर पिला दिया हमें मोहब्बत में मिलाकर।
तुझको लफ्ज़ों में समझा रही हूं,
हर दर्द से वाकिफ करवा रही हूं।
मुझे कितनी मोहब्बत है तुझसे ऐ जान,
अपनी धड़कने तुझको आज सुना रही हूं।
माना के सांसों को अब मोहलत न मिलेगी,
पर मुझ जैसी तुझको कहीं चाहत न मिलेगी।
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसान वाकिफ होता।
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता।।
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
अपने दर्द को अपने रब से बाट लिया करो।
फिर दर्द जाने, दुआ जाने और खुदा जाने।।
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है,
क्यूँ दर्द के रोने रोता है।
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर,
इसमें तो यही कुछ होता है।।
ज़रूरी तो नहीं हर दर्द को आवाज़ मिल जाए,
कई दर्द ख़ामोश रह जाते हैं सीने में..
जब दर्द नहीं था सीने में,
तब खास मजा था जीने में ...
दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे,
मैंने जब की आह उस ने वाह की।
अब तो ये भी नहीं रहा एहसास,
दर्द होता है या नहीं होता।
हर किसी की एक अलग कहानी है।
बहुतों ने उसे लिखा, किसी ने इश्क लिखा,
किसी ने जुदाई, किसी ने खुशियां लिखी,
किसी ने गम, मेरे हिस्से में बचा दर्द,
सो मैंने दर्द लिखा।
दीदारे दर्द का किस्सा, बड़ा बेचैन करता है
गुजरते हर लम्हों में तेरा ही जिक्र रहता है।
वो कहते हैं कि बताओ,
अब दर्द कैसा है, कुछ कम हुआ है,
कि पहले के ही जैसा है।
दर्द भी देख सके वो नज़र पैदा कर,
महफ़िल में हाथ थाम सके वो जिगर पैदा कर।
दुनिया के आगे तु फरिश्ता बना है,
पर मन में रहे यह भाव वो कदर पैदा कर।।
बिखरा पड़ा था दर्द काग़ज़ पे इस तरह,
जिसने पढ़ा उसकी आँख से बहा।
कभी इस दर्द से गुजरो तो, तुम्हें मालूम चले;
जुदाई वो बिमारी है, जो दिल का खून पीती है।
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ सब्र हो जाती,
किनारों ने डुबोया, मुझे इस बात का ग़म है।
कौन सी सूरत बदल दी ज़िंदगी की मौत ने,
लोग मिट्टी को ही तो मिट्टी में दफ़नाने गए।
मुझे पल भर के लिए आसमान से मिलना था ,
पर घबराई हुई खड़ी थी...
कि बादलों की भीड़ में से कैसे गुज़रूँगी..।
थकना भी लाज़मी था, कुछ काम करते करते।
कुछ और थक गया हूँ आराम करते करते।।
मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते,
जो रूठोगे कभी मुझसे तो अपना दिल दुखाओगे।
सुन चुका जब हाल मेरा, ले के अंगड़ाई कहा !
क्या ग़ज़ब का दर्द ज़ालिम तेरे अफ़्साने में था।
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें,
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं।
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं।
जिन्हें भूलने में शायद ज़माने लगे हैं।।
हिम्मती प्रेमिकाएं पत्नियां बन जाती है,
बाक़ी सभी कविताएं बन जाती है।
दिल तेरे लिए सदा ही बेकरार ही रहेगा,
तुम आओ या ना आओ इन्तजार रहेगा।
प्रेम में पड़ी स्त्री को,
तुम्हारे साथ सोने से ज्यादा अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ जागना.!
मैं उस बर्बादी के बारे में सोचकर परेशान हो जाती हूँ
जो तब होती है जब एक दूसरे से प्यार करने वाले
लोग आपस में बात तक नहीं कर पाते हैं।
तुम हो तो क्या मैं बना नहीं सकता,
एक तारे से अपना आकाश।
तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूं।
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।।
"प्रेम हिसाब-किताब नहीं है।
ये तो भाड़े पर भी मिल सकते हैं,
पर प्रेम करने वाले नहीं।"
सच है तुम्हारे बिना जीवन अपंग है।
लेकिन! क्यों लगता है मुझे
प्रेम अकेले होने का ही एक ढंग है!
लाख समझाया कि शक करती है दुनिया,
तू पास से गुज़र जाया कर, पर मुस्कुराया ना कर।
तुम अगर नहीं आयीं, तो गीत ना गा पाऊँगा।
साँस साथ छोडेगी, तो सुर कैसे सजा पाऊँगा।।
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा।
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए।।
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैंने।
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने।।
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सबको नहीं आता।
किसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना।।
किसी भी शर्त पर मंजूर उसकी कुर्बत थी।
जो दोस्ती है अभी कल वही हमारी मोहब्बत थी।।
रंग इस मौसम में भरना चाहिए।
सोचती हूँ प्यार करना चाहिए।।
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनू आए।
हम हवाओं की तरह जाके उसे छू आए।।
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें।
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।।
ऐसे हँस हँस के न देखा करो सबको जानिब,
लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं।
प्यार दो बार थोड़ी होता है।
हो तो फ़िर प्यार थोड़ी होता है।।
काँच की चूड़ी ले कर मैं जब तक लौटा,
उसके हाथ में तो सोने का कंगन पड़ गया था।
आंसू जानते हैं कौन अपना है,
तभी तो अपनों के सामने टपक जाते हैं।
मुस्कराहट का क्या, वह तो
गैरों से भी वफ़ा कर लेती है!
दिल था टूट गया, जज़्बात थे मर गए।
सपना था बिखर गया,
जो कभी अपने थे, वो भी बदल गये।।
जिस्म के शौकीन हैं आज के दौर के लोग,
अब सादगी पर कौन मरता है।
सब वक्त गुजार रहे हैं अपने अपने हिसाब से,
आजकल असली मोहब्बत कौन करता है।।
खिलौनों की तरह दिल के टुकड़े उछाल दिए जाते,
हमारे सब नम्बर ब्लाक लिस्ट में डाल दिए जाते।
इतनी ज्यादा भीड़ थी उसके दिल में दोस्त,
हम खुद नहीं निकलते तो निकाल दिए जाते।।
पराए आंसुओं से आंख को नम कर रहा हूं मैं।
भरोसा आजकल खुदपर भी कुछ कम कर रहा हूं मैं।।
बड़ी मुश्किल से जागी थी जमाने की निगाहों में।
उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूं मैं।।
इश्क़ वही है जो एकतरफ हो,
इज़हारे इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है।
है अगर इश्क़ तो आँखों में देखो,
जुबां खोलने पे ये नुमाईश बन जाती है।।
बेपनाह मोहब्बत की थी,
अब सजा पाए बैठे हैं।
हासिल ना हुआ कुछ भी,
और सब कुछ लुटाये बैठे हैं।।
तलाश उसकी करो जो किसी के पास ना हो,
भुला दो उसे जिस पर विश्वास ना हो।
हम तो अपने गमों पर भी हंस पड़ते है,
वो इसलिए की सामने वाला उदास ना हो।।
जाने किस दिलं से उसने मुझे भुलाया होगा,
और मेरा प्यार उसे याद ना आया होगा।
वो मुझे भुल गयी इसका तो मुझे गम नहीं,
गम तो ये है की मुझे रो रो के भुलाया होगा।।
वो मेरी क़िस्मत मेरी तकदीर हो गई,
हमने उनकी याद में इतने खत लिखें;
कि वो रद्दी बेजकर अमीर हो गई।।
घर है कच्चा मेरा बरसात से डर लगता है।
तुम प्यार को छोड़ कर कोई और बात कर लो,
मुझे प्यार की हर बात से डर लगता है।।
छोड़ गए हमको अकेले ही रहो में,
चले गए रहने वो गैरो की बाहों में।
शायद मेरी चाहत उसे रास नहीं आई,
तभी तो सिमट गए वो औरों की बाहों में।।
तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी,
जाने क्यों आज मेरे साये से भी कतराते हैं।
हम भी वही हैं दिल भी वही है;
जाने क्यों लोग बदल जाते हैं।।
हमने क्या नहीं किया तेरे इकरार के लिए,
खुद को लुटा बैठे तेरे प्यार के लिए।
हम तो उसी मोड़ पर खड़े रहे,
पर तुमने ही मुड़कर ना देखा।
लोग मोहब्बत को खुदा कहते है,
अगर कोई करे तो उसे इल्जाम देते हैं।
कहते हैं कि पत्थर दिल रोया नहीं करते,
फिर क्यों पहाड़ों से झरने गिरा करते हैं।।
खामोशियां सब्र का इम्तिहान बन गई,
मजबूरियां प्यार में इल्जाम बन गई।
वो आए और आकर चले गए,
खुशियां चंद लम्हों की मेहमान बन गई।।
दर्द देकर इश्क़ ने हमें रुला दिया,
आज उसी ने हमे भुला दिया।
हम तो जी लिया करते थे उनकी यादों में ।
कंबख़्त उसने यादों में भी जहर मिला दिया।।
दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से,
कुछ ना मिला उनके लिए आंसू बहाने से।
वे जानते थे वह मेरे दर्द की वजह,
फिर भी बाज ना आए मुझे आजमाने से।
कयु रोते हो उशकी याद में,
जो तुम्हारा कभी था ही नहीं।
अगर आंसुओं से तकदीर बदलती तो
आज हमारा भी कोई होता।।
बिठाकर डोली में उसको वो इंसान ले गया।
अजनबी शहर का लड़का मेरी जान ले गया।।
मोहब्बत की तलाश मैं निकले हो तुम
पागल.. मोहब्बत खुद तलाश करती है…
जिसे बर्बाद करना हो।
आँसू आ जाते है रोने से पहले,
ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले।
लोग कहते है मोहब्बत गुनाह है,
काश कोई रोक लेते गुनाह होने से पहले।।
इश्क सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है।
इश्क नहीं किया तो करके देखो,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।।
वो रोए तो बहुत पर मुझसे मुंह मोड़ कर रोए।
कोई मजबूरी होगी जो दिल तोड़ कर रोए।।
मेरे सामने कर दिए.. मेरी तस्वीर के टुकड़े।
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़ कर रोए।।
हमने सोचा था, बताएंगे दिल का दर्द तुझको।
पर तुमने इतना भी न पूछा खामोश क्यों हो तुम…
वो दिन नहीं वो रात नहीं,
वो पहले जैसे जज्बात नहीं।
होने को तो हो जाती हैं बात उनसे,
मगर बातों में भी पहले जैसे बात नहीं…
मोहब्बत का दर्द दिल में छुपाया बहुत है,
सच कहुँ उसकी मोहब्बत ने रुलाया बहुत है।
बेपरवाह हो जाते है,
अक्सर वो लोग जिन्हे कोई,,,
हद से ज्यादा प्यार करने लगता है।
अगर कोई जोर देकर पूछेगा,
हमारी मोहब्बत की कहानी।
तो हम भी धीरे से कहेंगे, कि
बस एक मुलाकात को तरस गए।
तुझे मोहब्बत करने का हिसाब न आया,
मुझे किसी सवाल का जवाब ना आया।
हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालो में,
तुझे जागकर भी हमारा ख्याल ना आया।।
यूँ हर बात पर आजमाया ना करो हमें,
कभी हम परखे तो मोहब्बत मोहब्बत ना रहेगी।।
उसके इंतज़ार के मारे हैं हम,
बस उसकी यादों के सहारे हैं हम।
दुनिया जीत के करना क्या है अब,
साथ जिसके दुनियाँ से जितना था,
आज उसी से हारे हैं हम।।
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम अकेले ही रह जाते है।
इस दिल का दर्द दिखाएं किसे,
मलहम लगाने वाले ही जख्म दे जाते हैं।।
कोई वादा नहीं किया फिर भी इंतज़ार है,
जुदाई के बाबजूद हमें तुमसे प्यार है।
तेरे चेहरे की उदासी दे रही है गवाही मुझसे,
बिछड़ के तो तू भी बहुत बेकरार है।
तुझे क्या पता कि तेरी यादों ने,
मुझे किस तरह से सता दिया।
कभी अकेले मे हँसा दिया,
कभी महफ़िल में रुला दिया।।
ठहराव तुम्हारा ही है,
हमारे दिल के आशियाने में।
तेरे सिवा यहां बता और कौन
रह सकता है इस गरीब खाने में।।
तुझे क्या पता कि तेरी यादों ने,
मुझे किस तरह से सता दिया।
कभी अकेले मे हँसा दिया,
कभी महफ़िल में रुला दिया।।
बहुत ही अच्छे निशानेबाज हो तुम,
ठीक निशाने पर तुमने तीर मारा है।
दुनिया से हर बाजी जीतने वाले,
आज सिर्फ तुमसे अपना दिल हारा है।।
बहुत मुश्किलों से कदम ये बड़े हैं,
सितमगर निगाहें गढ़ाये खड़े हैं।
मुहब्बत की राहों में चलना सम्लकर,
कि दिल की दीवारों में शीशे जड़े हैं।।
फिक्रों ने रंग चहरे का मेरे उड़ा दिया,
घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना दिया।
हमने उनसे कहा जलाने को एक चिराग,
उसने इसी बहाने मेरा घर जला दिया।।
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो !
हमारा शहर तो बस यूं ही रास्ते में आया था !!
दिल अमीर था मगर मुकद्दर गरीब था,
मिलकर बिछड़ना तो हमारा नसीब था।
हम चाह कर भी कुछ कर न सके,
घर जलता रहा और समंदर करीब था।।
ना कोई बता पाया है,
ना ही कोई बता पायेगा।
मेरी मोहब्बत इतनी गहरी है,
कि गूगल भी शर्मा जाएगा।।
ना मेरा दिल बुरा थाना उसमें कोई बुराई थी।
बस नसीब का ही खेल है,
क्योंकि किस्मत में तो लिखी जुदाई थी।।
कौन कहता है कि प्यार पूरा होता है।
जबकि प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा होता है।।
अपनी जिंदगी के अलग वसूल हैं,
यार की खातिर तो कांटे भी कबूल हैं,
हंस कर चल दूं कांच के टुकड़ों पर भी,
अगर यार कहे यह मेरे बिछाए हुए फूल हैं।।
ना दिल के दर्द भरेना शराब सहारा हुई।
ना वो फिर कभी मिली ना मोहब्बत दुबारा हुई।।
मुझे तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था।
प्यार भी उसी से हुआ, जिसके पास गुस्सा ज्यादा;
और दिमाग कम था।
जीना चाहते हैं मगर जिंदगी रास नहीं आती,
मरना चाहतें हैं मगर मौत पास नहीं आती।
उदास है हम इस कदर जिंदगी से,
उसकी यादें भी तड़पाने से बाज़ नहीं आती।।
उतरा था चाँद हमारे आँगन में,
सितारों को गवारा न था ।।
हम तो सितारों से भी बग़ावत,
कर लेते पर चाँद ही हमारा न था।।
दिल तोडकर आपने अच्छा नहीं किया,
धोखा वफा की राह में खाये हम जरूर,
लेकिन कभी किसी के साथ मे धोखा नहीं किया।
गुजार दी हमने फकीरी मे जिन्दगी,
लेकिन कभी जमीर का सौदा नहीं किया।।
अकेला रहना पर किसी का इंतजार मत करना,
किसी के लिये खुद को बेकारार मत करना।
कोई अच्छा साथी मिल जाये तो हाथ थाम लेना,
पर दिखावे के लिये किसी से प्यार मत करना।।
एहसास के दामन में आँसू गिराकर तो देखो,
प्यार कितना है अजमाकर तो देखो।
तुम्हें भुल कर क्या होगी दिल कि हालत,
किसी आइने पर पत्थर गिराकर तो देखो।।
प्यार में कोई दिल तोड जाता है,
दोस्ती में कोई भरोसा छोड जाता है।
जिन्दगी जिना तो कोई गुलाब से सिखें,
जो खुद टुटकर दो दिलों को जोड़ जाता है।।
तुम बस उलझे रह गए मुझे आज़माने में।
और हम हद से गुजर गए तुम्हें चाहने में।।
दर्द आँखों से निकला तो सब ने कहाँ कायर है।
दर्द अल्फ़ाज़ में ढला तो सबने कहा शायर है।।
किनारा मिला तो किनारा नहीं था,
जब बहना था तो कोई सहारा नहीं था।
यही एक दिल है जिसको समझे थे अपना,
ना जाने था किसका हमारा नहीं था।।
प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया ही नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं।
बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से उसने हमें सताया ही नहीं।।
मुद्दतों बाद जब उनसे बात हुई.....
मैंने कहा कुछ झूठ ही बोल दो.....और
वह हंस के बोले, तुम्हारी याद बहुत आती है।।
ख़ामोशी में सुकून अंधेरों से राहत है,
मेरी शोर से शिकायत, और तन्हाई से चाहत है।
मेरी नासमझ ने मुझे इस दुनियाँ से अलग रखा,
अकेले रहना मज़बूरी नहीं बस मेरी आदत है।।
प्यार वो दरियाँ है जिसका कोई साहिल नहीं होता।
लगता है हर कोई मोहब्बत के काबिल नहीं होता।
रोता तो वो भी है, जो डूबा हो प्यार की दरियाँ में।
रोता वो भी है जिसे प्यार हासिल नहीं होता।।
नया पाने की चाहत में पुराना छूट जाता है,
मैं हाथ जो थामूं जमाना रूठ जाता है।
मोहब्बत पढ़ने लिखने में बहुत आसान होती है,
पर मोहब्बत को निभाने में पसीना छूट जाता है।।
जीना चाहा तो जिन्दगी से दूर थे हम,
मरना चाहा तो जीने को मज़बूर थे हम।
सर झुका के कबूल कर ली हर सजा,
बस कसूर इतना था कि बेक़सूर थे हम।।
दिल किसी से तब ही लगाना,
जब दिलों को पढ़ना सीख लो।
उसको मेरी तड़प का गुमाँ तक नहीं हुआ,
मैं इस तरह जली कि धुँआ तक नहीं हुआ।
तुमने तो अपने दर्द के किस्से बयाँ कर दिए,
हमसे तो हमारा दर्द बयाँ तक नहीं हुआ।।
पढ़ लेते हैं मेरे चेहरे की बेरुखी भी कभी,
अब वही कहने लगे कुछ तुम छुपाते हो यार से।
इश्क चाहत और मोहब्बत सभी प्यारे हैं मुझे,
बस नहीं भाए दिखावे मुझे कैसे भी दिलदार से।।
कैसे कहें कि जिन्दगी क्या देती है,
हर कदम पे ये केवल दगा देती है।
जिनकी जान से भी ज्यादा कीमत हो दिल में,
उन्हीं से दूर रहने की बस सजा देती है।।
छोड़ तूफानों में हमको जो चले आए कभी,
अब भला वह क्यों हमें निकालेंगे मझधार से।।
छोड़ दिया हमने उन लोगों से बात करना।
जो हमारे होकर भी, हम उनके लिए कुछ नहीं हैं।।
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया,
जिस पर मरते रहे, उसी ने भुला दिया।
हम तो उनकी याद में आँसुओं को पीते गये,
एक दिन तो उसने आँसुओं में जहर मिला दिया।।
ना वो सपने देखो जो टूट जाये,
ना ही वो हाथ पकड़ो जो छुट जाये।
मत आने दो किसी को करीब इतना कि,
उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।
हुआ कुछ यूँ कि हम खुद से दूर हो गये।
नाम जुबां पे आया भी नहीं तेरा;
मगर तेरे नाम से तो हम मसहूर हो गये।।
रात के अंधेरे में खुद को छुपा लेते हैं;
दर्द-ओ-गम को आँसुओ में बहा देते हैं।
दिन के उजालों में कोई देख ना ले मेरी उदासी;
इसलिए होठों पर कुछ मुस्कुराहट सज़ा लेते हैं।।
लगता है मुझे अक्सर जो ख़ास मेरा,
समझा नही उसने कोई एहसास मेरा।
सोच में अपनी रखा जिसको सदा ऊपर,
तोड़ा है उसने जीतकर विश्वास मेरा..।।
मैं जो तड़प के तुमसे फरियाद कर रहा हूँ;
खामोशियों पर मेरी फिर इल्जाम ना लगाना।
रूठी जो जिंदगी ग़र मुझसे अगर वो जालिम;
फिर साथ अपने नाम के मेरा नाम ना लगाना।।
इश्क़ के अब तो अफसाने कहाँ रहे,
यादों में जो बसे थे वो दीवाने कहाँ रहे।
होते थे जो फिदा एक दूसरे की चाहत में,
मोहब्बत के अब वो जमाने कहाँ रहे।।
रोने की सज़ा है ना रूलाने की सज़ा है,
ये दर्द तो मोहब्बत को निभाने की सज़ा है।
हँसते है तो निकल आते है आँखों से आँसू,
ये तो उस शख़्स से दिल लगाने की सज़ा है।।
मेरा हाल देखकर मोहब्बत भी शर्मिन्दा है।
कि सब कुछ हार गया फिर भी कैसे जिंदा है।।
दिल को सबके लिए पत्थर बना के रखी है,
तेरी यादों को भी जेवर बना के रखी है।
और जिसे समझ रहे लड़की वो जादूगरनी है साहब,
हम जैसे कितनों को कबूतर बना के रखी है।।
कभी खुदपे तो कभी हालात पर रोना आया,
बात निकली तो हर एकबात पर रोना आया।
हम तो समझे थे कि वो भूल गये हमको,
पर फिर आज उन्हें किस बात पर रोना आया।।
जरा तहजीब से कह दो तो मर जाएं जवानी में,
कसम दे दो हक से ज़हर तो पी जाएं रवानी में।
तुम्हें दुल्हन बनाने का इरादा भूल जाएं हम,
तुम्हारे इश्क को दफनादें अपनी शेरवानी में।।
एक सच्चाई पर पहरा उसने रक्खा है।
राज तो कोई गहरा उसने रक्खा है।।
कभी तो होगी उनकी हकीकत बेपर्दा।
हर चेहरे नया चेहरा लगाए रक्खा है।।
जिसके लिए दिल में इतनी बेकरारी है दोस्त,
क्या सबूत है वह लड़की सिर्फ तुम्हारी है दोस्त।
सच्चे आशिकों के हिस्सों में मौत आती है,
ये इश्क एक जानलेवा बीमारी है दोस्त ।।
गूफ्तगू करिए मगर एहतियात से,
क्योंकि लोग मर भी जाते हैं अल्फ़ाज़ से।
चांद ने की होगी सूरज से मोहब्बत,
इसीलिए तो चांद में लगा ये 'दाग' है।
मुमकिन है कि चांद से हुई होगी बेवफाई,
इसीलिए तो सूरज में आज भी आग है।।
जाने हमसे क्या जमाना चाहता है,
हर कोई हमें आजमाना चाहता है।
जाने क्या बात झलकती है हमारे चेहरे से,
हर कोई हमें हंसाकर रुलाना चाहता है।।
क्यों मिलते हैं चाहत के बदले हमें नए जख्म,
ये दर्द दिलों के जाने क्यों होते नहीं खतम।
सभी छोड़ते जा रहे हैं आजकल मुझे ऐ जिंदगी,
तुझे भी इजाजत है जाना चाहे तो चली जा।
इलाज कराते फिर रहे हो जाने किस किस से,
मोहब्बत करके देखो ना मोहब्बत क्यों नहीं करते।
बहुत नाराज़ है वो और उन्हें हमसे शिकायत है,
कि इस नाराजगी की भी शिकायत क्यों नहीं करते।
मेरा दिल पत्थर तो नहीं था,
इसे पत्थर बनाया है किसी ने।
यहां समंदर पहले तो नहीं था,
यहां आंसू बहाया है किसी ने।
खुश हूं ऐसा भरी महफिल में दिखाना पड़ता है,
कोई देख ना ले डर से आंसू भी छुपाना पड़ता है।
कोई नहीं जिसे बता सके अपने दिल का हाल,
दर्द को भी INSTAGRAM STORY पर लगाना पड़ता है।
भूल गया हूं जिसको कब का मैं,
ख़्वाबों में हर रोज़ दिखाई देती है।
कुछ शेर लिखा हूं उसकी आँखों पर,
कागज़ से आवाज़ सुनाई देती है।।
जब दिल टूट जाए तो आवाज नहीं आती,
हर किसी को मोहब्बत रास नहीं आती।
ये तो अपने अपने नसीब की बात है,
कोई भुल नहीं पाता किसी को याद नहीं आती!
लिया मोहब्बत की चादर जब इश्क के बाजार में,
भीड़ से आवाज आई कफन भी साथ लेते जाना,
अक्सर यार तो बेवफा होते हैं.... !