Top Life Shayari in Hindi
काटा है आस्तीन के सांपों ने इस कदर।
मैं सामने पड़ी हुई रस्सी से डर गया।।
मतलब निकलते ही आप बेकार साबित कर दिए जाएंगे। खास भले हैं, नया मिलते ही दरकिनार कर दिए जाएंगे।।
काबिल होकर भी कामयाब ना हुआ,
थोड़ा और अभ्यास करूंगा मैं।
बीत जाए चाहे एक और साल भले ही,
पर एक बार और प्रयास करूंगा मैं।।
झूठ कहते हैं लोग शराब गम हल्का कर देती है,
मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में भी रोते हुए।
सब कुछ है हमें खबर नसीहत ना दीजिए।
क्या होंगे हम खराब जमाना खराब है।।
हमने खाया है हमेशा अपने ही हुनर का,
हम भीख में मिला आसमां भी नहीं लेते।
ख्वाहिशों के काफिले भी बड़े अजीब होते हैं।
ये निकलते भी वहीं से हैं जहां रास्ते नहीं होते।।
अपने किरदार से महकता है इंसान,
चरित्र पवित्र करने का इत्र नहीं आता।
ऐ खुदा! जब तूने मेरी किस्मत का पर्चा छापा,
तो सच बता तेरा हाथ क्या नहीं कांपा?
जो निभा दे साथ उस साथ का भी शुक्रिया।
छोड़ दे जो बीच में उस हाथ का भी शुक्रिया।।
दुख अगर यह न सिखा पाए कि जीवन में प्राथमिकता क्या है, तो मित्र! अभी ढ़ंग का दुख देखा नहीं तुमने।।
दोस्त, किताब और रास्ता गलत हों,
तो आदमी जरूर गुमराह हो जाता है।।
ये मेरा फ़र्ज़ बनता है मैं उनके हाथ धुलवाऊं।
सुना है उन्होंने मेरे नाम से किचड़ उछाला है।।
खामोशी को चुना है हमने बकाया सफर के लिए,
अब अल्फाजों को जाया करना अच्छा नहीं लगता।।
कर लो स्वीकार कुछ दोष तुम कुछ हम।
यह निर्दोष बने रहने में नुकसान बहुत है।।
बुरे वक्त में भी जो तुमसे जुदा ना हो।
गौर से देखना कहीं वो खुदा ना हो।।
तुमसे ना कट सकेगा यह अंधेरे का सफ़र।
अब तो शाम हो रही है मेरा हाथ थाम लो..!
बेवजह मन पर कोई बोझ न भारी रखिए,
जिंदगी जंग है इस जंग को जारी रखिए।।
बात जहां जिगर कि हो....,
चौड़ाई वहां छाती की नहीं नापी जाती प्रधान..!
लिबास अगर सफेद है तो संभल संभल कर चलिए।
यह तोहमतों की दुनिया, यहां दाग बहुत लगते हैं।।
जिंदगी उलझाएं रहती है गुनाहों में हमें।
इतनी फुर्सत ही नहीं देती कि शर्मिंदा भी हों।।
पत्तों ने रंग बदला और वो गिर गए.....।
वरना पेड़ को संभालने में तो दिक्कत नहीं थी।।
जिसने अपने घाव खुद भरे हों,
उससे ज्यादा खतरनाक कोई नहीं।।
जमाना जोर देकर पूछता है दर्द की शिद्दत,
दर्द तो फिर दर्द है, कम क्या, क्या ज्यादा।।
वो शख्स मेरे ऱग ऱग से वाकिफ हैं इस क़दर।
वो उसी ऱग पर हाथ रखता है जो दुखती बहुत है।।
लोग रह गए इतराते हुए चालाकियों पर अपने,
वह समझ ही ना सके कि क्या-क्या गंवा बैठे।।
तरीका और भी है इस तरह परखा नहीं जाता,
चिरागों को हवा के सामने रखा नहीं जाता।
ग़र आवाज में इतना नूर ना होता।
तो ए तन्हा दिल इतना मजबूर ना होता।।
हम आपसे मिलने जरूर आते।
अगर आपका घर इतना दूर ना होता।।
वो शख्स मेरे काफिले से बगावत कर गया।
जंग जीतकर सल्तनत जिसके नाम करनी थी।।
लापरवाही ही भली है साहब!
परवाह करने पर लोग सस्ता समझ लेते हैं।
कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया।
मेरी तलाश का अब जरिया बदल गया।।
न शक्ल बदली ना ही बदला मेरा किरदार।
बस लोगों को देखने का नजरिया बदल गया।।
कत्ल हुआ हमारा इस तरह किश्तों में।
कभी खंजर बदल गए कभी कातिल बदल गए।।
बहुत सुनसान सी पड़ी है ज़िन्दगी।
अब कुछ वीरान से हो गए हैं हम।।
क्योंकि जो हमें ठीक से जान भी नहीं पाए थे।
खामखां उनके लिए परेशान हो गए थे हम।।
जुबान चलने लगी लव कुशाई करने लगे।
नसीब बिगड़ा तो गूंगे बुराई करने लगे।।
हमारे कद के बराबर ना आ सके जो लोग।
हमारे पांव के नीचे खुदाई करने लगे।।
उम्मीदें भगवान से रखो, ए दुनिया तो खुदगर्जी है।
खुदगर्ज हैं रिश्ते नाते यहां इश्क़ वफ़ा भी फर्जी है।।
मेरा तो काम है समझाना, आगे आपकी मर्जी है।
ज़मीर पर चढ़ाकर सोने का पानी जांच रहे हैं।
मेरे खरेपन को कुछ खोटे सिक्के माप रहे हैं।।
ठुकराया है सबने मुझे अपने अपने अंदाज में।
कोई मुझसे मुंह फेर गया किसी बहाने से;
तो कोई मुझे छोड़ दिया यूं ही नजरअंदाज में।।
मैं गलत हूं या सही यह मायने नहीं रखता।
मर्जी तुम्हारी है, खुदगर्जी तुम्हारी है;
जो मन चाहे देख लो, मैं जेबों आईना नहीं रखता।।
तुम्हें गैरों से ही कब फुर्सत,
और हम अपने काम से कब खाली।
चलो हो चुका मिलना - जुलना,
ना तुम खाली ना हम खाली।।
चैन से जीने की आदत होनी चाहिए।
दर्द को पीने की आदत होनी चाहिए।।
रिश्तों की बुनाई ग़र उधड़ने लगे तो।
प्रेम से सीने की आदत होनी चाहिए।।
हर एक मोड़ पर ज़ख्म देखें हैं।
हां कहीं ज्यादा तो तो कहीं कम देखें हैं।।
अब कोई छोड़ भी जाए तो दर्द नहीं होता।
अपनी जिन्दगी ही बनते शतरंज देखें हैं।।
क्यूं ना बदलूं मैं, तुम वही हो क्या।
चलो माना मैं गलत हूं, तुम सही हो क्या।।
हम भी बेवजह मुस्कुराया करते थे ।
उजाले में भी शोर मचाया करते थे।।
कम्बख्त उसी दियों ने जला दिया हमारा हाथ।
जिन दियों को हम हवाओं से बचाया करते थे ।।
अपनी छोटी सी जिंदगी में इतना तो कर जाएंगे।
किसी की आंखों में तमाम उम्र जिएंगे;
तो किसी के दिल में सदा के लिए मर जाएंगे।।
दर्द मिन्नत कशें दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ ना बुरा हुआ।
सिर से सीने तक, पेट से पाँव तक,
एक जगह हो तो बतायें, दर्द किधर होता है।
ऐसा लगता है कि उड़ कर भी कहाँ पहुंचेंगे,
हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है।
हर मौसम में दर्द से घिरे रहते हैं।
ये कैसे जख्म हैं जो हरे रहते हैं।।
ज़ख़्म भर जाएँ मगर दाग़ तो रह जाता है,
दूरियों से कभी यादें तो नहीं मर सकतीं।
किसे जाकर सुनाएँ दर्द अपना,
यहाँ सुनने का ही सिस्टम नहीं है।
मेरे दर्द पे न मेरा इख़्तियार है।
मेरे ज़ख्मों पर दुनिया सवार है।।
जाने किसका ज़िक्र है इस अफ़्साने में,
दर्द मज़े ले रहा दोहराने में।
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है,
किसकी आहट सुन रहा हूँ वीराने में।।
तुमने ख़ुद ही सर चढ़ाई थी सो अब चक्खो मज़ा,
मैंने कहा था कि दुनिया दर्द-ए-सर हो जाएगी।
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब,
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं।
गुमसुम-गुमसुम क्यों रहते हो,
हर दर्द अकेले क्यों सहते हो ?
हम भी तुम्हारे हमदर्द हैं प्यारे,
सब कुछ तो ठीक है क्यों कहते हो ?
दिल में है जो दर्द वो किसे बताए,
भरते हुए ज़ख्म को किसे दिखाए।
कहती है ये दुनिया हमे खुशनसीब,
मगर नसीब की दास्तान किसे सुनाए।
जो दर्द कल हमने अपनों से कहे थे,
आज वे ही गैर बनकर ताने सुना दिए।
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता।
अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला।
नींद तो दर्द के बिस्तर पर भी आ सकती है,
उनकी आग़ोश में सर हो, ये ज़रूरी तो नहीं।
न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था,
कि जो भी लफ़्ज़ था, वो दिल दुखाने वाला था।
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी,
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी।
मुस्कुराहट के पीछे,,
दर्द का एक जहान छुपा रखा है।
मौसम की ठंडी बर्दाश्त करने के लिए,
दिल में कुछ अरमान जला रखा है।।
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही,
दर्द कम हो या ज़्यादा, मगर हो तो सही।
आदत के ब'अद दर्द भी देने लगा मज़ा,
हँस हँस के आह आह किए जा रहा हूँ मैं।
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे,
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे।
ऐसे तो ठेस न लगती थी जब अपने रूठा करते थे।
ऐसे तो दर्द न होता था जब सपने टूटा करते थे।।
ये समझ तूने कुछ भी कमाया नहीं है,
दर्द घुटनों में अब तक तो आया नहीं है !
मैंने हर बार राह देखी है तुम्हारी,
भले ही तुम जब भी आये दर्द ही लाये..
झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो,
दर्द से बात करो, दर्द से लड़ना छोड़ो।
दर्द तो होगा जब जिंदा हैं,
वरना मुर्दे को कहां जलन होती है चिता में।
दर्द कुछ वक्त के लिए आता है,
लेकिन वक्त हमेशा एक जैसा नहीं होता !
दर्दे–दिल की आह तुम न समझोगे कभी,
हर दर्द का मातम सरेआम नहीं होता।
दर्द ओ ग़म से रिश्ता पुराना है हमारा,,
हमारी ख़ुशियों में भी ग़म साथ चलते हैं।
तुम नहीं समझोगे उस दर्द की हक़ीक़त,
जिसमें पहले पाने की,
फ़िर भूल जाने की दुआ की जाए।
एक दिन बिना किसी गुनाह के सजा काट के आओ..
फिर पता चलेगा पिंजरों मे बन्द परिंदों का दर्द..
तुम दर्द होकर, कितने अच्छे लगते हो,
खुदा जाने, हमदर्द होते तो क्या होता..!!
बड़ा बेदर्द है ये ज़माना, नफरत उसी को देता है,
जो यहाँ प्यार लुटाए फिरता है !!
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ,
अब शीशे के महल बना रहा हूँ।
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर,
दर्द का दिल दुखा दिया मैंने।
आज ख़ुद को बेचने निकले थे हम,
आज ही बाजार मंदा हो गया।
आपकी चाहतों पर भरोसा किया,
फिर न सोचा कि अच्छा किया या बुरा किया।
मीठी झील का पानी पीने की ख़ातिर,
उस जंगल से रोज़ गुज़रना ठीक नहीं।
आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि खाली जाएगी।
गुज़रता है मेरा हर दिन मगर पूरा नहीं होता,
मैं चलता जा रहा हूँ मगर सफ़र पूरा नहीं होता।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
सपनों का बाजार नहीं कर सकते हैं,
ख़ुद को यूँ लाचार नहीं कर सकते हैं।
हर मोड़ कहानी उसकी कहते जाता है,
जिसका हम दीदार नहीं कर सकते हैं।
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते,
अब कोई शिकवा हम नहीं करते।
बदला नहीं हूं मैं मेरी भी कुछ कहानी है।
अब यह जो बुरा बन गया हूं मैं;
ये सब तो अपनों की मेहरबानी है।।
आंसू अपने ही हाथ से पोंछ लेना दोस्तों !
अगर कोई दूसरा पोंछेगा तो,
उसकी कीमत भी जरूर वसूलेगा।।
हार जाऊंगा उस अदालत में;
ये मुझे यकीन था।
जहां वक्त बन बैठा जज,
और नसीब मेरा वकील था।।
इस दुनियाँ में कोई भी अपना नहीं होता,
लाख निभाओ रिश्ता कोई अपना नहीं होता।
गलत फहमी रहती है थोड़े दिन,
फिर इन आँखों में आंसुओ के सिवा कुछ नहीं रहता।
एक श्मसान के बाहर लिखा था;
मंजिल तो तेरी यहीं तक थी।
बस ज़िन्दगी गुजर गई यहां आते आते।
अरे तुझे दुनिया ने भी क्या दिया ?
तेरे अपनों ने ही जला दिया तुझे जाते जाते।।
किसी को कांटों से चोट पहुंची,
किसी को फूलों ने मार डाला।
जो बच गए इन मुसीबतों से,
उन्हें वसूलों ने मार डाला।।
छोड़ दिया मैंने भी किसी को परेशान करना।
जिसकी खुद मर्जी ना हो बात करने की,
उससे जबरदस्ती क्या करना।।
ना जिंदगी वापस आती है,
ना जिंदगी में आये हुए लोग।
कई बार तबियत दवा लेने से नहीं,
हाल पूछने से ही ठीक हो जाती है।।
कैसे हो आप ?
मै अपनी ज़िंदगी की दांस्ता,
अब दोहराना नहीं चाहता।
जो बीत गयी वो रात थी,,
उस रात को रौशनी दिखाना नहीं चाहता।।
दर्द भी वही देते है जिन्हें हक दिया जाता हो,
वर्ना गैर तो धक्का लगने पर
भी माफी मांग लिया करते है।।
नुक्स मत निकाल किरदार में अपने,
ये काम लोग बख़ूबी ही कर देंगे।
शक मत कर कबलियत पर अपनी
तेरा याकिं तेरे अपने ही हिला देंगे।।
जान दे सकता है क्या साथ निभाने के लिए,
हौसला है तो बढ़ा हाथ मिलाने के लिए।
इक झलक देख लें तुझको तो चले जाएंगे,
कौन आया है यहां उम्र बिताने के लिए।।
अब कुछ ना छुपाया जाए तो अच्छा रहेगा,
सब कुछ बताया जाए तो अच्छा रहेगा।
अदालत सजी है तेरे मुहल्ले में तो कोई गिला नहीं,
गवाह मेरे मुहल्ले से भी बुलाया जाए तो अच्छा रहेगा।।
मैंने दीवार पे क्या लिख दिया ख़ुद को,
एक दिन बारिशें होने लगीं उसको मिटाने के लिए।।
सुनो ना यारों,
जीतने का असली मजा तो तब है,
जब सब को याकिं तेरे हारने का हो।
और तू जीत का बिगुल बजा दे,
तेरी जीत लोगों की नींद ही उड़ा दे।।
जब जिंदगी चटनी बनाती है,
तो स्वाद अपने ही लिया करते हैं।
ग़ैर तो फ़िर भी ग़ैर ही होते हैं,
ये अपने कहने वाले बड़ा दर्द दिया करते हैं।।
जिनके दिल अच्छे होते है न,
उनकी किस्मत ही खराब होती है।
इज़्ज़त दीजिये और इज़्ज़त लीजिये
सब के लिए एक ही रूल है।
और जिनके नज़रो में हम कुछ भी नहीं
वो हमारी नज़रो में फ़िज़ूल है।।
दर्द होता है दिल में मगर आवाज़ नहीं होती,
सांस थम जाती है मगर मौत नहीं होती।
अजीब से रिश्ते हैं इस मतलब भरी दुनिया में,
कोई भूल नहीं पता तो किसी को याद भी नहीं आती।।
महसूस तो होती है पर मुकम्मल नहीं होती,
कुछ हसरतें आंखों में रहती हैं इंतजार बनकर।।
कोई यह लाख कहे मेरे बनाने से मिला,
नया रंग जमाने को पुराने से मिला।
उसकी तकदीर अंधेरों ने लिखी थी शायद,
वह उजाला जो चिरागों को बुझाने से मिला।।
फिक्र हर बार खामोशी से मिली है मुझको,
और खजाना मुझे शोर मचाने से मिला।
और लोगों से मुलाकात कहां मुमकिन था,
वो तो खुद से भी मिला है तो बहाने से मिला।।
शिकायत नहीं ज़िंदगी से, की तेरे साथ नहीं,
बस तू खुश रहना यार, अपनी तो कोई बात नहीं।।
कुछ जख़्म सदियों के बाद भी ताज़ा रहते है,
शायद वक़्त के पास भी हर मर्ज़ की दवा नहीं होती।।
किसी ने धूल क्या झोंकी आखों में,
पहले से बेहतर दिखने लगा है!
ना किसी का पैसा, ना किसी की जान चाहिए..
जो मुझे समझ सके, बस ऐसा एक इंसान चाहिए !
चटकने लगी है हसरते दिल की,
दिल का रूठना अभी बाकी है।
अभी तू और जोर लगा ऐ जिंदगी,
मेरा टूटना अभी बाकि है।
भरोसा जिसपे होता है मुझे लोगों जमाने में।
वहीं आगे निकलता है हमेशा दिल दुखानें में।।
समझ में कुछ नहीं आता यकीन किस पर करूं।
मैं जिसको अपना कहता रहा,
वही लगा रहा हमें मिटाने में।।
कुछ हार गई तकदीर, कुछ टूट गए सपने।
कुछ गैरों ने किया बर्बाद, कुछ भूल गए अपने।।
पास हों जो लोग उनकी कीमत ज़रा सोच लो,
दुनियाँ है यहाँ लोग आते ही हैं जाने के लिए।
कभी सोचा नहीं था, ज़िन्दगी में ऐसे भी फंसाने होंगे।
रोना भी जरुरी होगा लेकिन आंसू भी छुपाने होंगे।।
दर्द ना होता तो खुशी की कीमत ना होती,
अगर चाहने से सब मिलता तो,
दुनिया में ऊपर वाले की जरूरत ना होती।।
वक्त नूर को बेनूर बना देता है,
हर जख्म घाव को नासूर कर देता है।
कौन चाहता है जान बूझकर गुनाह करना,
लेकिन वक्त इंसान को मजबूर कर देता है।।
प्यार मिल जाता है चाहत नहीं मिलती सबको,
दोस्ती में भी मोहब्बत नहीं मिलती सबको।
चन्द हीरों को ही मिलता है चमकने का नसीब,
काम सब करते हैं शोहरत नहीं मिलती सबको।।
सैकड़ों जाते हैं इस दरवाज़े पे दस्तक दे कर,
दिल में आने की इजाज़त नहीं मिलती सबको।।
दिल को दिल्ली की तरह जीतना पड़ता है,
ये हुकूमत है हुकूमत नहीं मिलती सबको।।
कबूल तो कर लो, मेरी इश्क़ की
बारिश में भिगोगे तो निखर जाओगे।
हम बदल नहीं सकते हालात की तरह,
साथ रहोगे तो समझ जाओगे।।
हकीकत के पीछे ख्वाब देना पड़ता है,
बिना मर्ज़ी के भी सबको जवाब देना पड़ता है।
बड़ी अजीब सी हो गयी है ये है ये दुनियाँ,
अब तो खुशियों का भी सबको हिसाब देना पड़ता है।।
कल और आएंगे खिलती कलियां चुनने वाले,
मुझसे बेहतर लिखने वाले तुमसे बेहतर सुनने वाले।
कोई मुझको याद करें क्यों मुझको याद करे,
व्यस्त जमाना क्यों वक्त अपना बर्बाद करें।।
मुस्कराहट बुरे वक्त की श्रेष्ठ प्रतिक्रिया है,
और ख़ामोशी ग़लत प्रश्न का बेहतरीन जवाब।