इस पोस्ट में एक ऐसी कविता दी गयी है जिसे लेखन ने अपना का मनोरंजक व सामाजिक बुद्धि का उपयोग करके 'कभी नहीं, कभी नहीं' वाली कविता लिखे हैं, जो
'कभी नहीं, कभी नहीं' वाली कविता
'कभी नहीं, कभी नहीं' कविता इस पोस्ट में एक ऐसी कविता दी गयी है जिसे लेखन ने अपना का मनोरंजक व सामाजिक बुद्धि का उपयोग करके 'कभी नहीं, कभी नहीं' वाली कविता लिखे हैं, जो पढ़ने में मनोरंजक भी है और थोड़ा बहुत सामाजिक ज्ञानवर्धक भी। साले की बुराई, शक्की को दवाई, प्रेमिका को, अपने दोस्त से मिलाना, पत्नी को अपनी असली इनकम बताना। नवजात कुत्ते के बच्चे को सहलाना, और पहलवान की बहन से इश्क लड़ाना, कभी नहीं, कभी नहीं।। नाई से उधार में दाढ़ी या सेकंडहैण्ड गाड़ी, नॉन वेज होटल में वेजिटेरियन खाना। और बिना पानी देखे टॉयलेट में जाना, कभी नहीं, कभी नहीं।। दो नंबर की कमाई रिश्तेदार के नाम रखना, सुंदर जवान नौकरानी को काम पर रखना। पत्नी से सुंदर पड़ोसन को बताना, और पुलिस वाले को मकान में किराये पर रखना, कभी नहीं, कभी नहीं। बिना हाथ दिए गाड़ी मोड़ना, सफ़र में सहयात्री के भरोसे अटैची छोड़ना, चिपकू मेहमान को बढ़िया खाना खिलाना। टीचर के बच्चे को ट्यूशन पढ़ाना, कभी नहीं, कभी नहीं।। चोरी के डर से पड़ोसी को सुलाना, कम उम्र की महिला को आंटी बुलाना, लंगर की पंक्ति में आखिर में बैठना। और पत्नी से उसके मायके में ऐंठना, कभी…