Chanakya Neeti Quotes with Images - Part 1

Chanakya Neeti with Images

Chanakya Neeti

दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः।।

Chanakya Neeti

दुष्ट स्वभाव वाली स्त्री, धूर्त व दुष्ट स्वभाव वाला मित्र, सामने बोलने वाला मुंहफट नौकर और ऐसे घर में निवास जहां सांप के होने की संभावना हो, ये सब बातें मृत्यु के समान हैं।

आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपदः।
कदाचिच्चलिता लक्ष्मीः सञ्चितोऽपि विनश्यति।।

Chanakya Neeti

आपत्तिकाल के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन सज्जन पुरुषों के पास विपत्ति का क्या काम। और फिर लक्ष्मी तो चंचला है, वह संचित करने पर भी नष्ट हो जाती है।

यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्याऽऽगमः कश्चित् तं देशं परिवर्जयेत्।।

Chanakya Neeti

जिस देश में आदर-सम्मान नहीं और न ही आजीविका का कोई साधन है, जहां कोई बंधु-बांधव, रिश्तेदार भी नहीं तथा किसी प्रकार की विद्या और गुणों की प्राप्ति की संभावना भी नहीं, ऐसे देश को छोड़ ही देना चाहिए। 

श्रोत्रियो धनिकः राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत् ।।

Chanakya Neeti

जहां श्रोत्रिय अर्थात वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य ये पांच चीजें न हों, उस स्थान पर मनुष्य को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात् तत्र संस्थितिम् ।।

Chanakya Neeti

जहां आजीविका का कोई साधन न हो, व्यापार आदि विकसित न हो, किसी प्रकार के दंड के मिलने का भय न हो, लोकलाज न हो, व्यक्तियों में शिष्टता व उदारता न हो, जहां ये पांच चीजें विद्यमान न हों, वहां व्यक्ति को निवास नहीं करना चाहिए।

जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनाऽगमे।
मित्रं चापत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये।।

Chanakya Neeti

काम लेने पर नौकर-चाकरों की, दुख आने पर बंधु-बांधवों की, कष्ट आने पर मित्र की तथा धन नाश होने पर अपनी पत्नी की वास्तविकता का ज्ञान होता है।

आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रु- संकटे ।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः ।।

Chanakya Neeti

किसी रोग से पीड़ित होने पर, दुख आने पर, अकाल पड़ने पर, शत्रु की ओर से संकट आने पर, राज सभा में, श्मशान अथवा किसी की मृत्यु के समय जो व्यक्ति साथ नहीं छोड़ता, वास्तव में वही सच्चा बन्धु माना जाता है।

यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिसेवते । 
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ।।

Chanakya Neeti

जो मनुष्य निश्चित को छोड़कर अनिश्चित के पीछे भागता है, उसका कार्य या पदार्थ नष्ट हो जाता है।

वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम् ।
रूपवतीं न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले ।।

Chanakya Neeti

बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न हुई कुरूप अर्थात् सौंदर्यहीन कन्या से भी विवाह कर ले, परन्तु नीच कुल में उत्पन्न हुई सुंदर कन्या से विवाह न करे। वैसे विवाह अपने समान कुल में ही करना चाहिए।

नखीनां च नदीनां च शृंगीणां शस्त्रपाणिनाम्। 
विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।।

Chanakya Neeti

बड़े - बड़े नाखूनों वाले शेर और चीते आदि प्राणियों, विशाल नदियों, बड़े-बड़े सींग वाले सांड़ आदि पशुओं, शस्त्र धारण करने वालों, स्त्रियों तथा राजा से संबंधित कुल वाले व्यक्तियों का विश्वास कभी नहीं करना चाहिए।

विषादप्यमृतं ग्राह्यममेधयादपि काञ्चनम्।
चादयुत्मा विद्या स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।

Chanakya Neeti

विष में भी यदि अमृत हो, अपवित्र और अशुद्ध वस्तुओं में भी यदि सोना अथवा मूल्यवान वस्तु पड़ी हो तो वह भी उठा लेने के योग्य होती है। यदि नीच मनुष्य के पास कोई अच्छी विद्या, कला अथवा गुण है तो उसे सीखने में कोई बुराई नहीं। दुष्ट कुल में उत्पन्न अच्छे गुणों से युक्त स्त्री रूपी रत्न को भी ग्रहण कर लेना चाहिए।

स्त्रीणां द्विगुण आहारो बुद्धिस्तासां चतुर्गुणा ।
साहसं षड्गुणं चैव कामोऽष्टगुण उच्यते।।

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पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का आहार अर्थात भोजन दोगुना होता है, बुद्धि चौगुनी, साहस छह गुना और कामवासना आठ गुना होती है।
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