जो मेरा हो न सका वो किसी का क्या होगा - सपना मूलचंदानी

जो मेरा हो न सका

नहीं ये फ़िक्र कि वो शख़्स बेवफ़ा होगा,
जो मेरा हो न सका वो किसी का क्या होगा।

ये सोच कर के त'आरुफ़ नहीं दिया अपना,
ज़रूर तुम ने मेरे बारे में सुना होगा।।

ये जानते हैं कि सीने में उस के पत्थर हैं,
मगर यक़ीन है पत्थर में दिल छुपा होगा।

जुबाँ पे लाता नहीं है कभी जो ज़िक्र-ए-‘इश्क़,
ज़रूर 'इश्क़ में पागल कभी रहा होगा।।

समझ रहे थे मोहब्बत का सिलसिला जिसको,
ख़बर नहीं थी कि वो एक हादसा होगा।

ये सोच कर तुझे हम याद करते रहते हैं,
तुझे भुलाने का कोई तो रास्ता होगा।।

लेखक: सपना मूलचंदानी, स्रोत: सोशल मीडिया
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