30+ Top Shayari on Zindagi
खाली जेब लेकर निकलो कभी बाजार में,
वहम दूर हो जाएगा इज्जत कमाने का.. !
थका हुआ हूं थोड़ा, जिंदगी भी थोड़ी नाराज है,
पर कोई बात नहीं, ये तो रोज की बात है.. !
जरूरी नहीं की हम सबको पसंद आएं,
बस जिंदगी ऐसे जियो के रब को पसंद आए.. !
सता ले ए-जिंदगी जितना सताना है,
मुझे कौन सा इस दुनिया में दोबारा आना है!
जिस दिन से चला हूं मेरी मंजिल पे नज़र है,
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था,
हमीं सो गए दास्तां सुनाते - सुनाते।
जो गुज़ारी न जा सकी हमसे
हमने वो ज़िंदगी भी गुज़ारी है।
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है,
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है।
कुछ ऐसे सिलसिले भी चले ज़िंदगी के साथ,
कड़ियां मिलीं जो उनकी तो ज़ंजीर बन गए।
Zindagi Shayari in Hindi on Sad
ज़िंदगी तूने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं,
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है।
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का नाम है जनाब,
मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं।
हम तुम मिले न थे तो जुदाई का था मलाल,
अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई।
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ,
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन,
आरज़ू में कट गए दिन इंतिज़ार के।
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से।
तुम तो मोहब्बत को खेल कहते हो,
हम ने तो बर्बाद ज़िंदगी ही कर ली।
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त,
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में।
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं की,खैरियत
पूछने वाला आपकी खैरियत भी चाहता हो..!
जिंदगी पर बेहतरीन शेरों शायरी
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रह गया।
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ,
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया।
किसी तरह तो जमा कीजिए अपने आप को,
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के।
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।
सबर मेरा कोई क्या ही आजमाएगा,
मैंने हंसके छोड़ा है उसे जो मुझे सबसे प्यारा था..!
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं,
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका।
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है,
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती।
माँ की आग़ोश में, कल मौत की आग़ोश में; आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले।
ज़िंदगी में एक सोच बेमिसाल रखो,
हालात चाहे जैसे भी हो चेहरे पर मुस्कान रखो..!
सहमी हुई थी झोपड़ी बारिश के खौफ से,
महलों की आरजू की जरा जम के बरसे..!
Heart touching shayari for Instagram
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता,
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता।
गलत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फ़ायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता।
हार्ट टचिंग 2 लाइन शायरी
मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है,
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता।
बुलंदी पर उन्हें मिट्टी की ख़ुश्बू तक नहीं आती,
ये वो
शाख़ें हैं जिन को अब शजर अच्छा नहीं लगता।
ये क्यूँ बाक़ी रहे
आतिश-ज़नो ये भी जला डालो,
कि सब बे-घर हों और मेरा हो घर
अच्छा नहीं लगता।
नींद उड़ गई रात की,
जब अपनों ने बात की औकात की..!!
सवंरना ही है तो दुसरो की नजरो में सवंरिये,
आईने से खुद का मिजाज नहीं पूछा करते।
मज़बूरी में पहन ले फिर दे उसे उतार,
हैल मैट सा हो गया है लोगों का किरदार।
Heart touching shayari
दुनियाँ की सबसे बेहतर दवाई है "जिम्मेदारी,"
एक बार पी लीजिये जिंदगी भर थकने नहीं देगी।
जरूरत पड़ी तो खुल गए असल किरदार,
बातों से तो मुझे हर शख्स
वफादार लगता था।
दुःख आए तो ये मत समझना
की तुमने बुरे कर्म किए होंगे,
क्योंकि दुःख इसलिए
आए हैं की
तुम्हें कुछ बड़े काम के लिए चुना है।
मोबाईल कम्पनी अगर सच बोलने लगे तो दंगे हो जाये,जिससे आप सम्पर्क करना चाहते हैवो जानबूझ कर फोन नहीं उठा रहा।
जीवन में उजाला चाहिए तो खुद का दिया जलाओ,दुसरों की मोमबत्ती के सहारे जिंदगी रोशन नहीं हुआ करती।
शिकायत करने को भी, एक रिश्ता होना जरूरी है,
मेरा आपसे वही रिश्ता है महादेव..!!!
यूँ ही नहीं कोई बागी हो जाता है,
चोट इतनी गहरी होती है कि
तमीज का दायरा खुद ब खुद टूट जाता है।
जिसका नसीब आप संवारते हो महादेव,
उसका भला कोई क्या बिगाड़ सकता है।
दिल में इंसानियत ना हो तो खूबसूरती का क्या फायदा,दिलों के शहंशाह, अक्सर फकीर हुआ करते है।
कभी संभलें तो कभी बिखरते नजर आये हम,
जिंदगी के मोड़ पर खुद सिमटते आये हम।
यूँ तो जमाना खरीद न पाया मुझे,
बस प्यार के दो लफ्जों से सदा बिकते आये हम।
जरुरी नहीं के मुरझाये चेहरे के दर्द गहरे होते है,
कभी, खुश-मिजाज इंसान भी भीतर से टूटे हुए होते है।
बेटियों का दुःख समझना बहुत मुश्किल होता है,
इनके लिए उस घर में जगह नहीं होती जहां वो जनम लेती है।
एक ही खामी है हममें, ना छल है और
ना छल कपट समझ में आता है,
और शायद इसीलिए बुरे बन जाते है।
मजबूरियों का खेल है साहब,
वरना कौन अपनी हसरतों को बेड़ियों में जकड़ता है।
ईमानदारी से जिंदगी जीने से कुछ मिले या ना मिले,पर यह सुकून जरूर मिलता है कि मैंने कुछ ग़लत नहीं किया।
इंसान की वाणी ही एक कीमती आभूषण है,
इसके गलत इस्तेमाल से इंसान की चमक फीकी पड़ जाती है।
अपनी बातों से पलटने वाले लोग,
खुद के भी सगे नहीं होते।
"चेहरों" पे सजा लेते है "नकाब" क्या-क्या,
लोग " थकते" ही नहीं "किरदार " निभाते-निभाते।
ये जो " डूबी" है "आँखे" मेरी अश्कों के दरियाँ में,
ये "मिट्टी" के बने इंसानो पे भरोसे की सजा है।
वफाओं के सिले कम ही मिले,
ख़ुशी के बदले सिर्फ गम ही गम मिले,
और एक बात समझ नहीं आयी ग़ालिब
सबको दिल दुखाने के लिए हम ही मिले।
प्रकृति हो या स्त्री अगर उसके साथ खिलवाड़ हुआ,तो विनाश का द्वार खोलती है।
आँखे खराब हो गई "औलाद" पालकर,
अब बच्चे बात करते है "आँखे" निकालकर।
समंदर छोड़ कर आये थे जिनके लिए हम,
बस दो घूँट पानी पे बातें सुना गए।
ज़रूरी नहीं कि कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाएं,लहज़ा बदल कर बोलने से भी बहुत कुछ टूट जाता है।
हूं अगर खामोश तो ये न समझ
कि मुझे बोलना नहीं आता,
रुला तो मैं भी सकता था पर
मुझे किसी का दिल तोड़ना नहीं आता।
किनारों पर मोती मिला नहीं करते,
दर्द में कभी गिला नहीं करते,
हम अच्छे न सही बुरे ही सही,पर हम जैसे बुरे भी हर किसी को मिला नहीं करते।
वक्त का पासा कभी भी पलट सकता है,
सितम वही कर जो तू सह सके।
दिल टूटेगा तो फरियाद करोगे तुम भी,
हम ना रहे तो हमें याद करोगे तुम भी,
आज कहते हो हमारे पास वक़्त नहीं,
पर एक दिन मेरे लिये वक़्त बरबाद करोगे तुम।
तेरी धड़कन ही जिन्दगी का किस्सा है मेरा,
तू जिन्दगी का एक अहम हिस्सा है मेरा,
मेरी मोहब्बत तुझसे सिर्फ लफ़्ज़ों की नहीं है,
तेरी रूह से मेरी रूह तक का रिश्ता है मेरा।
किसी को माफ़ करके अच्छा जरूर बने,
लेकिन उस पर दोबारा विश्वास करके बेवकूफ़ ना बने।
हर लम्हा सिर्फ तेरा एहसास हो,
तेरे साथ हर दिन हर रात हो,
मैं चलूं साया बन कर संग तेरे,
और मेरा हमसफर बस मेरे साथ हो।
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल आवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।
उलझा रह गया चालाकियों में ही मेरा हमनवां,उसे पता ही ना चला उसने सादगी वाला हमसफ़र खो दिया।
नजरों में सम्मान और बोलने में मर्यादा किसी भी रिश्ते की सबसे मजबूत डोर होती है।
तुम्हारा एकांत ही तुम्हे मनुष्य बना सकता है,
भीड़ तुम्हे भेड़ बना देगी।
तेरी कागज की कश्ती क्या पार हो गई,
तू समझता है कि समुंदर की हार हो गई।
जुड़े रहने के लिए बेइंतहा भरोसा चाहिए,बिछड़ने के लिए तो एक गलतफ़हमी ही काफी है।
सपनों को जिंदा, मन को शांत रखो।
दूषित परिवेश से बेहतर, एकांत रखो।।
इसलिए सब हैं महफ़िल में नाराज मुझसे,
कि
खुद्दारी झुकने नहीं देती, अदब उठने नहीं देता।
अच्छा लिखना ही शानदार नहीं होता साहब।
पढ़ने वाला भी समझदार होना चाहिए..!!
बनके एक हादसा बाजार में आ जायेगा,
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जायेगा।
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं,
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जायेगा।
मैं बे-पनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ,
मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं।
कहें क्या खेल ऐसा भी कभी क़ुदरत ये करती है,
जो काशी जीत जाता है अयोध्या हार जाता है।
लकीरों से नहीं, मेहनत से मुक़द्दर बयां होगा।
कभी होंगी आँधियां, तो कभी सामने तूफ़ां होगा।।
ज़िन्दगी के समंदर में यूँ नहीं पार लग पाएंगी,
तेरी कश्तियों का चप्पे चप्पे पर इम्तेहां होगा।
दुनिया को चलो परखें, नए दोस्त बनाएँ। हर शख़्स ज़माने में वही तो नहीं होगा।
क्या पता कब कहाँ मारेगी?
कि मैं ज़िंदगी से डरता हूँ,
मौत से क्या डरना है मेरे भाई,
वो तो बस एक बार मारेगी।
रख आए हैं हम अपनी मोहब्बत उनके दरवाजे पर,
अब हमें अपने घर की जिम्मेदारियां संभालनी हैं!
जहाँ से शुरू किया था सफ़र फिर वहीं खड़े हो गए,
अजनबी थे लो हम फिर अजनबी ही हो गए..!!
किसी भी व्यक्ति को ज्यादा समझाने और सुधारने में मत लग जाना। ज्यादा कोशिश करोगे तो वह व्यक्ति तुमसे ही नफरत करने लगेगा।
हम तो आज़ाद परिंदे हैं दोस्त,
तुम्हारे जैसे किसी परी के गुलाम नहीं..!
हमें दुश्मनों की कमी नहीं है। जिसका भला करते हैं वही दुश्मन बन जाता है हमारा .!!
पहले शीशों का महल फ़िर दो ग़ज़ ज़मीन के मालिक, मौत का फ़रिश्ता पल भर में जागीर बदल देता है।
शब्दों की चोट क्या है शिलालेखों से पूछो,
जिनकी सभ्यताएं मिट गई पर घाव ना भरे!
छल कपट का खेल तुम्हें मुबारक़,
हम तो सीधे - सीधे नाता तोड़ लेते हैं।
जहां चोट पहुंचे हमारे आत्मसम्मान को,
वहां से हम रास्ता अपना मोड़ लेते हैं।।
हमें ना बताइए कि महफ़िल में इंतज़ाम क्या है,
हमने उमड़ती दावतों में बिखरता रायता देखा है।
नदियां लाशों को पानी में नहीं रखती हैं, जनाब!
तैरे या डूबे किनारे तो सभी जायेंगे !
चाहे कितनी भी बुलंदी पे चला जाये कोई,
आसमानों से उतारे तो सभी जाएंगे।
वक्त ऐसा न दो कि भीख लगे,
बाकी जो तुम्हें ठीक लगे....!!
न तेरी शान कम होती, न रूतबा घटा होता।
गुस्से में जो कहा, काश वही हंसके कहा होता !!
भड़ास कहां तक पाली जाए,
गुलामी कहां तक टाली जाए।
तू है ............ का चमचा,
तो
चाट जहां तक नाली जाए।
ऐ मुहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं,
तू उसे मिलेगी जिसे तेरी कोई परवाह नहीं..!
वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या?
जिस पथ पर बिखरे शूल न हो;
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या ?
यदि धाराएं प्रतिकूल ना हों।
कोई तड़पता रहा हमें पाने के लिए,
तो कोई पाकर भी औरों को खोजता रहा।
मैंने यह सोच के नहीं बोए ख्वाबों में दरख़्त,
कि जंगल में लगे पेड़ों को कौन पानी देगा।
बदली तेरी नजर तो नजारे बदल गए,
यह चांदनी यह चांद सितारे बदल गए।
मैं भी यही हूं और मेरी मोहब्बत है वही,
फिर क्यों तेरे नजर के इसारे बदल गए।।
गैरों की बात का ना बुरा मान ऐ जिगर,
हम क्या कहें कि हमसे हमारे बदल गए।
घमंड ना कर जिंदगी में तकदीर बदलती रहती है,
आईना वही रहता है तस्वीर बदलती रहती है।
मिलते जुलते हैं लोग यहां जरूरत के लिए।
हम तेरे शहर में आए हैं मोहब्बत के लिए।
वो भी आखिर तेरी तारीफ में ही खर्च हुआ।
मैंने जो वक्त निकाला था रूख्सत के लिए।।
हसीन लोगों से मिलने में ऐतराज ना कर,
ये वो जुर्म है जो शादीशुदा भी करता है।
खिझाया, मिटाया, सताया बहुत था,
जमाने ने हमको रुलाया बहुत था।
हमने ना छोड़ा फिर भी मुस्कुराना,
पर उसने तो दिल को दुखाया बहुत था।
मेरी नजर में वो शख्स आदमी भी नहीं,
जिसे लगा है जमाना खुदा बनाने में।
ऐ मौत! तूं उस समय आना जब मैं सजदे में हूं।
कि तुझे आने में और मुझे जाने में मजा आए।
जिंदगी एक दिन मेला दिखाने ले गई थी।
भीड़ में अपनी उंगली छुड़ाकर;
ना जाने कहां गुम हो गई !
उदास रहने को अच्छा नहीं बताता है।
कोई जहर खुद को मीठा नहीं बताता है।
हस्र है कि कल अपने को देखा मां की आंखों में,
ये आईने कभी अपने को बूढ़ा नहीं बताता है।।
मौत से बचने की एक तरकीब है,
कि दूसरों के जेहन में जिंदा रहो।
तुमका जानो तोहें दिल से मानित है,
तोहरा नगरी के खाक छानित है।
और सकल देख के बुद्धू न कहो,
हमहूं प्यार करल जानित है।।
कहत रहेन ना फंसो प्यार के चक्कर मा,
झुराके हो गयो छोहारा उल्लू हौ।।
तू चाहत हो भाईचारा उल्लू हौ,
देखै लागे दिनै में तारा उल्लू हौ।
दहेज में मारूती पायो खुशी भई,
दुल्हिन पायो महा खटारा उल्लू हौ।।
यह तो सरासर झूठे दिल से तूने मुझे अपनाया है।
मुझसे लिपटकर रहने वाले कौन तुझे याद आया है।।
कि कहू शांति वाला मंजर ना पइहौ,
मई जून पईहौ, नवम्बर भले पइहौ।
जवन भाव घी पीवा है बचपने मा,
वो भाव आज मा गोबर ना पइहौ।।
कि हिजरतों के दुख, बिछड़ते खानदानों का सफर।
ना जाने कब खत्म होगा, उजड़े मकानों का सफर।।
हम कहां सबके साथ उड़ते हैं,
सिर्फ टूटे हुओं से जुड़ते हैं।
अरे जितने वाला तो सभी का हो ही जाता है,
पर जो हारे वो हमारे होते हैं।।
खुद पर भरोसा रखना दोस्त, क्योंकि
सपने और अपने कभी भी बदल सकते हैं।
बड़ी ही शान से रहते थे जिसमें लोग कभी,
अब उन्हीं मकान में मकड़ियों का जाला है।
बहुत गुरूर है तुझे अपनी दौलत पर,
इसी गुरूर ने तो कितनों को मार डाला है।।
कि हुए गुनाह तो होने से कुछ नहीं होगा,
सबूत दीजिए, रोने से कुछ नहीं होगा।
कि सबब तलाश कर अपने हार जाने का,
किसी के जीत पर रोने से कुछ नहीं होगा।।
अपनी लिक्खी हुई तकदीर पर हंस लेते हैं,
अपने जज्बातों को जंजीर से कस लेते हैं।
ये मेरा अपना तजुर्बा है कि वक्त आने पर,
सांप तो सांप क्या इंसान भी डंस लेते हैं।।
मिल गयी है तो ये निस्बत नहीं जाने वाली,
जो मिली मुझको वो शोहरत नहीं जाने वाली।
मैं खिलौना हूं मगर रहमते दरबार का हूं,
टूट भी जाऊं तो कीमत नहीं जाने वाली।।