यदि आप प्रयागराज कुंभ मेला गए हैं और संगम से या किसी भी पवित्र नदी से जल लाना चाहते हैं तो उसका सही विधान क्या है, वह इस वेब स्टोरी में बताया गया है...!
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
गंगा जल को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। कुंभ मेले में गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु अपने घरों के लिए जल लेकर आते हैं।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
लेकिन इसे लाने और रखने का भी एक विशेष विधान होता है, जिससे इसकी पवित्रता बनी रहती है।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
1. गंगाजल को साफ और नए बर्तन में ही भरना चाहिए। पीतल, तांबे या कांच के बर्तन को सर्वोत्तम माना जाता है।
2. "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु॥" जल भरते समय इस मंत्र का उच्चारण करें, जिससे गंगाजल की ऊर्जा बनी रहे।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
3. ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में गंगाजल भरना सबसे उत्तम माना जाता है। ग्रहण, अमावस्या और सूर्यास्त के समय जल नहीं भरना चाहिए।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
4. पवित्र नदियों से जल को घर लाने से पहले उनमें दूध अर्पित करना या वहां कुछ दान करना श्रद्धा और कृतज्ञता का संकेत माना जाता है।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
5. जल लाते समय अपवित्र स्थानों (शौचालय, गंदगी आदि) से दूर रखें। जल से भरे पात्र को पैरों के पास या नीचे न रखें। जल लाने के दौरान मांस-मदिरा और अपवित्र वस्तुओं का सेवन न करें।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
6. इसे मंदिर में, पूजा घर में या किसी पवित्र स्थान पर रखें। जल को तांबे के पात्र में डालकर उसके ऊपर तुलसी पत्र रखें।
पवित्र नदियों से जल लाने का विधान
स्नान, आचमन या पूजा पाठ के समय गंगा जल का उपयोग करें। गंगाजल को कभी व्यर्थ न बहाएं। गंगाजल को हमेशा आदरपूर्वक संभालें और इसका दुरुपयोग न करें।