अब कोई आए कोई जाए फर्क नहीं पड़ता।
अब तो खुद को गुनहगार खुद को सबूत कर लिया है;
साला पत्थर भी टकराने में कई बार सोचेगा।
अब खुद को इतना मजबूत कर लिया है।।
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से निकाल लिया है।
वक्त के हिसाब से खुद को ढाल लिया है।।
अब कोई साजिशों से भी तोड़ें तो नहीं टूटेंगे।
संभलते संभलते खुद को इतना संभाल लिया है।।
अजी, तालमेल क्या डगमगाया मेरी ज़िन्दगी का! खुद को बांसुरी, तो हमें बाजा समझने लगे।
हमने अपना ताज मरम्मत के लिए क्या भेजा, कुछ भिखारी अपने आपको राजा समझने लगे।।
क्या कहा! अपनी इरादों से पीछे हट जाएंगे!
तेरा धोखा इतना दुखदायक तो नहीं है।
गलती हमारी थी जो तुझ पर यकींन किया।
दिल में क्या, तूं जेब में भी रखने लायक नहीं है।।