GAJAL BY ANWAR QURESHI
इस तरह साबित हम अपनी बुज़दिली करने लगें
और कुछ न कर सके तो मुखबिरी करने लगें।
हो गए बर्बाद गंदी सोहबतों में बैठकर,
बेचकर घर-बार अपना मयकशी करने लगें।
इस सियासत ने जो कारोबार सारे खा लिए,
इसलिए हम भी किसी की नौकरी करने लगें।
कल बड़ा लुक़मा नहीं उतरा था जिनके हलक़ से,
आज ऐसे लोग भी बातें बड़ी करने लगें।
लोग माहिर हो गए यारो सियासी खेल के,
गिर गए औक़ात से नेतागिरी करने लगें।
भूल बैठे हैं बुज़ुर्गों की नसीहत किसलिए,
किसलिए माँ-बाप की हम बे अदबी करने लगें।
इससे बढ़कर और क्या देते वफ़ाओं का सबूत,
इश्क़ सच्चा था तभी तो शायरी करने लगें।
स्रोत: सोशल मीडिया, लेखक: अनवर क़ुरैशी
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