क्यों कारोबार छोड़ दूं नुक़सान देखकर - Himanshi Babra

GAJAL BY HIMANSHI BABRA 

HIMANSHI BABRA

वो आएगा नुमाइश ए सामान देखकर,
क्यों कारोबार छोड़ दूं नुक़सान देखकर।

नख़रे उठा रही हूं तुम्हारी तलाश के,
रुकती नहीं हूं रास्ता वीरान देखकर।।

सोचा नहीं था मैंने कभी तेरे जैसा शख़्स,
मुंह फेर लेगा मुझको परेशान देखकर।

वो तेरा लम्स वो तिरि बाहों की ख़ुशबुएं,
लौटी हूं जैसे कोई गुलिस्तान देखकर।।

तू लाख बेवफ़ा है मगर सर उठा के चल,
दिल रो पड़ेगा तुझको पशेमान देखकर।

ज़ाहिर न हो कि मुझसे तेरा वास्ता भी है,
सबकी नज़र है तुझपे मेरी जान देखकर।।
__ हिमांशी बाबरा __

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