सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और कहानीकार थे। उनका जन्म 21 फरवरी 1896 को हुआ था। वे छायावादी युग के महान कवियों में से एक माने जाते हैं। निराला जी की रचनाओं में समाज के प्रति गहरी संवेदना और क्रांतिकारी विचारधारा दिखाई देती है। उनकी कविताओं में प्रकृति, जीवन, और समाज की सजीव झलक मिलती है। उनके द्वारा रचित कुछ पंक्तियां यहां नीचे दी गई है:
बदलीं जो उनकी आँखें, इरादा बदल गया।
गुल जैसे चमचमाया कि बुलबुल मसल गया।
यह टहनी से हवा की छेड़छाड़ थी, मगर
खिलकर सुगन्ध से किसी का दिल बहल गया।
ख़ामोश फ़तह पाने को रोका नहीं रुका,
मुश्किल मुकाम, ज़िन्दगी का जब सहल गया।
मैंने कला की पाटी ली है शेर के लिए,
दुनिया के गोलन्दाजों को देखा, दहल गया।
— सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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