परवीन शाकिर (1952-1994) एक प्रसिद्ध उर्दू शायरा थीं। उनका जन्म 24 नवंबर
1952 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। परवीन शाकिर ने अपने शायरी करियर
की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी और वे जल्द ही उर्दू साहित्य में एक
प्रमुख स्थान प्राप्त कर गईं। उनकी शायरी में मुख्य रूप से महिलाओं की भावनाओं,
उनके अनुभवों और समाज में उनकी स्थिति का वर्णन होता है।
परवीन शाकिर ने अपनी पहली किताब "खुशबू" के साथ ही उर्दू साहित्य में
तहलका मचा दिया था। उनकी अन्य प्रमुख किताबें "सदबर्ग", "खुद कलामी", "इन्कार"
और "मह-ए-तमाम" हैं। उनके लेखन का अंदाज बहुत ही सहज और संवेदनशील था, जो
पाठकों के दिलों को छू जाता था।
परवीन शाकिर को उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिले,
जिनमें "प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस" भी शामिल है। हालांकि यहां पर हम उनके कुछ
प्रसिद्ध 2 लाइन शायरी या गज़ल आपके लिए उपलब्ध करा रहे हैं:
2 line shayari of Parveen Shakir
दर्द फिर जागा, पुराना ज़ख़्म फिर ताज़ा हुआ,
फ़स्ल ए गुल कितने क़रीब
आई है अंदाज़ा हुआ।
सुब्ह यूँ निकली संवर कर जिस तरह कोई दुल्हन,
शबनम आवेज़ा हुई रंग ए
शफ़क़ गाज़ा हुआ।
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फन,
बंद मुझ पर जब से उसके घर का
दरवाज़ा हुआ।
रेल की सीटी में कैसी हिज्र की तम्हीद थी,
उसको रुख़सत करके घर लौटे तो
अंदाज़ा हुआ।
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