Best Positive Quotes
प्रेरणा: बड़े व्यक्तियों, लेखकों, दार्शनिकों और महान लोगों के अद्भुत वचनों को पढ़ने से हमें प्रेरणा मिलती है। ये वचन हमें नये उद्यमों के लिए प्रेरित करते हैं और जीवन में नई सोच और दृष्टिकोण लाते हैं।
मार्गदर्शन: अच्छे वचन हमें सही और धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वे हमें अपने जीवन में संतुलन, शांति, प्रेम और सामर्थ्य की खोज करने में मदद करते हैं।
विचार विस्तार: अद्भुत वचन हमारे विचारों को विस्तारित करने में मदद करते हैं। ये हमें नए और अलग तरीकों से सोचने के लिए प्रेरित करते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करते हैं।
मनोदशा सुधार: जब हम किसी प्रेरणादायक वचन को पढ़ते हैं, तो हमारी मनोदशा में सुधार होता है। कुछ शानदार शब्द हमारे मन को शांत करते हैं, हमें सकारात्मकता और उत्साह प्रदान करते हैं और हमें निराशा और निराशावाद से बाहर ले जाते हैं।
भावनात्मक संप्रेषण: अद्भुत वचन हमारी भावनाओं को प्रभावित करते हैं और हमें एक उच्चतर भावनात्मक स्तर पर ले जाते हैं। ये हमें उम्मीद, प्रेम, स्वयं सम्मान और समर्पण की भावना का आदान-प्रदान करते हैं।
साझा करना: अच्छे वचनों को साझा करने से हम दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं और उनकी जीवन में पॉजिटिव परिवर्तन ला सकते हैं। ये वचन सोशल मीडिया, ब्लॉग, किताबें, प्रस्तुतियाँ, और संगोष्ठियों के माध्यम से व्यापक रूप से साझा किए जा सकते हैं।
1. जिसका बलवान के साथ विरोध हो गया है, उस साधन हीन दुर्बल मनुष्य को जिसका सब कुछ हर लिया गया है उसको, अधिक कामुक व्यक्ति को और चोर को रात में जागने का रोग लग जाता है।
2. अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, उद्योग, दुख सहने की शक्ति, धर्म में स्थिरता, आस्तिक, श्रद्धालु , क्षमाशील, क्रोध न करना, हर्ष, गर्व, लज्जा व उद्दंडता न करना, अपने को ही पूज्य न समझना - बुद्धिमान के लक्षण हैं ।
3. दूसरे लोग जिसके पहले से किए हुए विचार को नहीं जानते बल्कि कार्य पूरा होने पर ही जानते हैं वहीं ज्ञानी है।
4. सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, संपत्ति-दरिद्रता ज्ञानी पुरुषों के कार्य में विघ्न नहीं डाल पाते हैं।
5. शक्ति के अनुसार कार्य करने की इच्छा रखनी चाहिए एवं किसी वस्तु को तुच्छ समझकर अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
6. बिना पूछे किसी के विषय में कोई भी बात किसी से नहीं करनी चाहिए।
7. भलाई करने वालों में दोष नहीं निकालना चाहिए, आदर होने पर अधिक हर्षित नहीं चाहिए, अनादर से तुरंत क्रोधित नहीं होना चाहिए।
8. न चाहने वालों को चाहना ( शत्रु को मित्र बनाना) एवं चाहने वालों का त्याग करना (मित्र से द्वेष करना) मूर्खों का काम है ।
9. अपने कामों को व्यर्थ फैलाना, सर्वत्र संदेह करना, शीघ्र होने वाले काम में देर लगाना मूर्खों का काम है।
10. बिना पूछे भीतर नहीं जाना चाहिए।
11. जो अपने द्वारा भरण-पोषण के योग्य व्यक्तियों को बांटे बिना अकेले ही उत्तम भोजन करता है वह अच्छा वस्त्र पहनता है, वह बड़ा क्रूर है ।
12. मनुष्य अकेला पाप करता है और बहुत से लोग उससे मौज उड़ाते हैं। मौज उड़ाने वाले तो छूट जाते हैं, पर उसका कर्ता ही दोष का भागी होता है ।
13. बुद्धि से कर्तव्य - अकर्तव्य का निश्चय करके साम-दाम-दंड-भेद से शत्रु को वश में करो।
14. पांच इंद्रियों को जीत कर 6 गुणों- संधि, विग्रह, मान, आसन, द्वैव द्विभाव, समाश्रय रूप को जानकर स्त्री (परस्त्री), जूआ, मृगया (शिकार), शराब, कठोर वचन, दण्ड की कठोरता, अन्याय से धन का उपार्जन को छोड़कर सुखी हो जाइए।
15. अकेले स्वादिष्ट भोजन ना करो, अकेला किसी विषय का निश्चय ना करो, अकेले रास्ता ना चलो, बहुत से लोग सोए हो तो उनमें अकेला न जागे।
16. क्षमाशील पुरुषों में एक ही दोष है कि लोग उसे असमर्थ समझ लेते हैं। परंतु क्षमा बहुत बड़ा बल है, क्षमा असमर्थ मनुष्यों का गुण, समर्थों का भूषण है। इस जगत में क्षमा वशीकरण का रूप है। एकमात्र क्षमा ही श्रेष्ठ शान्तिः का श्रेष्ठ उपाय है ।
17. दुष्टों का अधिक आदर नहीं करना चाहिए ।
18. यह दो अपने शरीर को सुखा देने वाले विषैले कांटो के समान है- निर्धन होकर बहुमूल्य वस्तु की इच्छा रखने वाला, असमर्थ होकर क्रोध करने वाला।
19. ये दो पुरुष स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं- शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला, निर्धन होकर भी दान देने वाला।
20. स्त्री, पुत्र, व दास धन के अधिकारी नहीं माने जाते; इनके द्वारा कमाया गया धन उसी का होता है जिसके ये अधिन होते हैं।
21. दूसरे के धन का हरण, दूसरे की स्त्री का संसर्ग करना, सुहृद मित्र का परित्याग, काम, क्रोध, लोभ कभी नहीं करना चाहिए।
22. भक्त सेवक तथा मैं आपका हूं ऐसा कहने वाले को अपने पर संकट आने पर भी उसे बचाना चाहिए।
23. 4 चीजें तत्काल फल देते हैं- देवताओं का संकल्प, बुद्धिमानों का प्रभाव, विद्वानों की नम्रता, पापियों का विनाश।
24. चार कर्म भय दूर करने वाले हैं किंतु वे ही यदि ठीक तरह से संपादित न हो तो भय उत्पन्न कर सकते हैं- आदर के साथ अग्निहोत्र, आदरपूर्वक मौन का पालन, आदरपूर्वक स्वाध्याय, आदर के साथ यज्ञ का अनुष्ठान।
25. माता-पिता, अग्नि, आत्मा, व गुरु की सेवा करनी चाहिए।
26. देवता, पितर, मनुष्य, सन्यासी, अतिथि की पूजा से यश प्राप्त होता है।
27. उन्नति चाहने वाले पुरुषों को नींद, तन्द्रा (ऊँघना), डर, क्रोध, आलस्य, दीर्घसूत्रता (जल्दी हो जाने वाले काम में देर लगाने की आदत) त्याग देनी चाहिए।
28. उपदेश न देने वाले आचार्य मंत्र उच्चारण न करने वाले होत्रा, रक्षा करने में समर्थ राजा, एवं कटु वचन बोलने वाली स्त्री को त्याग देना चाहिए।
29. दान, सत्य, कर्मण्यता, अनुसूया (गुणों में दोष दिखाने की प्रकृति का अभाव), क्षमा एवं धैर्य को कभी नहीं त्यागना चाहिए।
30. चोर असावधान पुरुष से, वैद्य रोगी से, मतवाली स्त्रियों से कमियों , पुरोहित यजमान से, राजा झगड़ने वालों से , विद्वान पुरुष मूर्खों से अपनी जीविका चलाते हैं।
31. सत्य ,दान, कर्मण्यता, अनसूया ( गुणो में दोष दिखाने का प्रवृत्ति का अभाव ) क्षमा व धैर्य को कभी नहीं त्यागना चाहिए ।
32. जो अपने बराबर वालों के साथ विवाह, मित्रता का व्यवहार तथा बातचीत करता है, हीन पुरुषों के साथ नहीं रहता और गुणों में बड़े-चढ़े पुरुषों को सदा आगे रखता है उस विद्वान की नीति श्रेष्ठ है।
33. सत्यवादी, दूसरो को आदर करना, पवित्र विचार वाला, स्वयं भी लज्जाशील होना चाहिये।
34. मनुष्य को चाहिए कि वह जिसकी पराजय नहीं चाहता, उसको बिना पूछे भी कल्याण करने वाली, या अनिष्ट करने वाली, अथवा अच्छी बुरी जो बात हो बता दे।
35. अच्छे उपायों का उपयोग करके सावधानी के साथ किया गया कोई कर्म यदि सफल न हो तो बुद्धिमान पुरूष को उसके लिए मन में ग्लानि नहीं करना चाहिए।
36. मनुष्य को पहले कर्मों के प्रयोजन, परिणाम तथा अपनी उन्नति का विचार करें फिर कार्य आरम्भ करना चाहिए।
37. जल्दबाजी में घबराकर कोई भी निर्णय नहीं देना या लेना चाहिए।
38. उद्दंडता सम्पत्ति को उसी प्रकार नष्ट कर देती हैं जैसे सुन्दर रूप को बुढ़ापा।
39. अपनी उन्नति चाहने वाले व्यक्ति को वहीं वस्तु खानी या ग्रहण करनी चाहिये, जो खाने योग्य हो तथा खायी जा सके या ग्रहण की जा सके व पच सके व पचने पर हितकारी हो।
40. इस कर्म को न करने से मेरा क्या लाभ होगा और न करने से क्या हानि होगी इस प्रकार भलीभाँति विचार करकें ही कर्म करना या न करना चाहिए, लेकिन निज (परिवार का पोषण) कर्तव्यों में लाभ-हानि का विचार नहीं करना चाहिये।
41. "जीवन की सबसे बड़ी खुशी वह हैं जब आप जो चाहते हैं, उसे करने के लिए अपनी शक्ति और सक्षमता प्राप्त करते हैं।" - Zig Ziglar
42. "आप जितने सकारात्मक और उत्साहित रहेंगे, आप उतना ही अधिक सफल होंगे।" - Unknown
43. "अपने जीवन की उच्चतम ऊंचाई को प्राप्त करने के लिए, आपको पहले उसे अपने मन में सोचना होगा।" - Joel Osteen
44. "धैर्य और संघर्ष के माध्यम से, आप सभी अपारंपरिक सामर्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं।" - Napoleon Hill
45. "हर दिन नया दिन है और हर संध्या एक नई आशा है।" - Rachel Boston
46. "सकारात्मक सोच आपको सकारात्मक परिणाम देती है।" - Willie Nelson
47. "आप जो सोचते हैं, वही आप होते हैं, और वही आपको बनाते हैं।" - Wayne Dyer
48. "सकारात्मक लोग नहीं इतना करते हैं कि वे गलतियाँ नहीं करते, वे गलतियाँ नहीं करते क्योंकि वे सकारात्मक तरीके से सोचते हैं और उनके पास सकारात्मक समाधान होते हैं।" - Stephen Covey
49. "आप अपने आप में उस बदलाव की शक्ति हैं जिसे आप दुनिया में देखना चाहते हैं।" - Mahatma Gandhi
50. "सकारात्मकता सच्ची शक्ति है।" - Eleanor Roosevelt